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गाजियाबाद में क्यों आसमान छू रहीं प्रॉपर्टी की कीमतें? ये 5 चुनौतियां भी आ रही सामने

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发表于 2025-10-28 08:32:29 | 显示全部楼层 |阅读模式
  एनएन- नौ के किनारे बनी ऊंची ऊंची बिल्डिंग। जागरण





अभिषेक सिंह, गाजियाबाद। दिल्ली-एनसीआर में नौकरी करने वाले लोग अपने आशियाने का ठिकाना गाजियाबाद बना रहे हैं। जबकि जिले में प्रॉपर्टी के दाम में कोरोना काल के बाद तेजी आई है, कई स्थानों पर फ्लैटों के दाम पिछले पांच साल में ही लगभग डेढ़ से दोगुना तक हो गए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इसके बावजूद आवासीय बैनामों की संख्या लगातार बढ़ रही है और आने वाले दिनों में इसमें और तेजी आने की उम्मीद है। इसकी मुख्य वजह एनएच- 24 का चौड़ीकरण कर उसे एनएच- नौ बनाना, दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस-वे, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे का निर्माण होना, मेट्रो की सुविधा होना और अब देश की पहली नमो भारत ट्रेन का गाजियाबाद से संचालन शुरू कर कनेक्टिविटी को बेहतर करना है।



इसके अलावा दिल्ली में भीड़भाड़ अधिक होने के कारण भी अब लाेग गाजियाबाद में आशियाना बनाने की चाह रख रहे हैं। इसलिए यहां पर प्रॉपर्टी की खरीद बढ़ रही है। इस स्थिति में जिले में आबादी बढ़ने के साथ ही जिला प्रशासन के सामने नागरिकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए गिरते भूजल स्तर को बचाने सहित अन्य चुनौतियों का पहाड़ भी खड़ा हो रहा है।

गाजियाबाद के क्रॉसिंग रिपब्लिक स्थित जीएच सात सोसायटी में रहने वाले विशाल श्रीवास्तव ने बताया कि वह मूलत: दिल्ली - छह के रहने वाले हैं। वहां पर भीड़भाड़ अधिक होने के कारण वह बाद में दिल्ली के मयूर विहार में शिफ्ट हुए और बजट फ्रेंडली आवास की तलाश में जुट गए।



उन्होंने कई जगह प्रॉपर्टी सर्च की लेकिन अंत में गाजियाबाद में फ्लैट की खरीद की, इसकी वजह उन्होंने यहां पर कनेक्टिविटी बेहतर होने के साथ ही सुविधाएं दिल्ली और नोएडा की तरह ही मिलना बताया है। प्रतीक ग्रैंड सिटी में रहने वाले वाले रुपेश श्रीवास्तव ने बताया कि उनका ऑफिस गुरुग्राम में है, वह गुरुग्राम से गाजियाबाद में चार साल पहले ही शिफ्ट हुए हैं।

उन्होंने बताया कि नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम की तुलना करें तो गुरुग्राम एक महंगा शहर है। वहां पर प्रॉपर्टी काफी महंगी है, वहां पर रहना भी महंगा है। गुरुग्राम की तुलना में गाजियाबाद में कम महंगा है, यहां पर गुरुग्राम की अपेक्षा महंगाई भी कम है। जबकि सुविधाओं में ज्यादा अंतर नही है, बच्चों के लिए अच्छे स्कूल यहां पर हैं और कनेक्टिविटी बेहतर है।



इन वजहों को ध्यान में रखकर उन्होंने अपना आशियाना गाजियाबाद को बनाया है। उनको आने वाले दिनों में यहां पर और विकास होने की उम्मीद भी है।

वित्तीय वर्ष - आवासीय बैनामों की संख्या

2020 - 21 - 36,310

2021 - 22 - 42,654

2022 - 23 - 54,770

2023 - 24 - 66,910

2024 - 25 - 70,914
आबादी के साथ ही बढ़ रही चुनौतियां

पेयजल संकट : गाजियाबाद में दूसरे जिलों के लोगों के शिफ्ट होने के कारण यहां पर चुनौतियां भी बढ़ रही है। यहां पर सबसे बड़ी चुनौती गिरते भूगर्भ जल स्तर को रोकने की है। जिले में पेयजल के लिए लोग ज्यादातर भूजल पर ही निर्भर हैं। भूजल पर निर्भरता कम करने को गंगाजल की आपूर्ति बढ़ानी चाहिए।



जाम की समस्या : एनएच- नौ पर यातायात का दबाव भी बढ़ रहा है, जिस कारण रोजाना जाम भी लगता है। इस समस्या के समाधान के लिए मेट्रो और नमो भारत ट्रेन का विस्तार भी होना चाहिए। यदि सराय काले खां से डासना तक नमो भारत ट्रेन के लिए कारिडोर बने तो एनएच- नौ पर ट्रैफिक का दबाव कम होगा।

स्थायी कूड़ा निस्तारण केंद्र न होना : जिले में कूड़ा निस्तारण के लिए नगर निगम के पास खुद की जमीन नही है, ऐसे में कई बार कूड़े का उठान होना ही बंद होता है। इस समस्या के समाधान के लिए जल्द ही आवश्यकतानुसार जमीन तलाशकर वहां पर स्थायी तौर पर कूड़ा निस्तारण किया जाना चाहिए।



सरकारी अस्पताल की कमी: जिले की एक बड़ी आबादी साहिबाबाद विधानसभा क्षेत्र में रहती है। वहां पर सरकारी अस्पताल न होनेे के कारण लोगों को परेशानी होती है।साहिबाबाद में सरकारी अस्पताल बनाया जाना चाहिए, इससे एमएमजी अस्पताल में मरीजों का बोझ भी कम होगा।

अवैध कॉलोनियों को बसने से रोकना : जिले में संपत्तियों की मांग बढ़ने के कारण अवैध कॉलोनियां भी काटी जा रही हैं। ऐसे में सुनियोजित तरीके से विकास नहीं हो सकेगा। इसके लिए जरूरी है कि अवैध कॉलोनियों को कटने से रोका जाए। इसके लिए जीडीए ही नहीं कई अन्य विभाग को मिलकर कार्य करना होगा।





जिले में आवासीय प्रॉपर्टी की खरीद करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पांच साल के अंदर ही जिले में आवासीय संपत्तियों को खरीदने वालों की संख्या लगभग दाेगुना हो चुकी है।

- पुष्पेंद्र कुमार, एआइजी स्टांप








दिल्ली से सटा जिला होने के कारण गाजियाबाद में तेजी से बसावट हो रही है और इसको रोका भी नहीं जा सकता है, लेकिन बसावट अधिक होने के कारण जो चुनौतियां आने वाली हैं, इसके लिए जीडीए को दूरगामी प्लान बनाया जाना चाहिए। इस मुद्दे को लेकर जीडीए के अधिकारियों से वार्ता की जाएगी। मैं प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा से इस मामले को प्रदेश सरकार के समक्ष और खुद केंद्र सरकार के समक्ष उठाऊंगा, जिससे कि जिले के समग्र विकास के लिए अतिरिक्त बजट मिले और सुविधाएं बेहतर हों। - अतुल गर्ग, सांसद, गाजियाबाद
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