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दुनिया में हुई बदनामी, फिर भी नहीं हटाए गए कुत्ते; विश्व पारा एथलेटिक चैंपियनशिप के लिए दिल्ली आए दो कोचों को काटा

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发表于 2025-10-28 08:32:05 | 显示全部楼层 |阅读模式
  दिल्ली की छवि पर दाग के बाद भी नहीं हटाए गए जेएलएन स्टेडियम से कुत्ते।





लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। वैश्चिक पटल पर भारत और खासकर दिल्ली की छवि खराब होने के बाद भी जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम परिसर से कुत्ते हटाए नहीं गए हैं। यहां विश्व पारा एथलेटिक चैंपियनशिप में 104 देशों के 2,200 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। शुक्रवार को यहां जापान और केन्या के कोच को आवारा कुत्ते ने काट लिया था। इससे यहां की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठने लगे थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पैरा एथलेटिक्स कमेटी आफ इंडिया (पीसीआई) ने जारी बयान में बताया था कि कुत्तों को हटाने के लिए निगम की दो टीमें यहां तैनात कर दी गई हैं। इसके बाद भी शनिवार को स्टेडियम परिसर में चार से पांच कुत्ते ट्रैक पर घूमते नजर आए। ट्रैक पर दौड़ लगाने पहुंचे एथलीट कुत्तों की मौजूदगी से असमंजस की स्थिति में दिखे।



खिलाड़ियों और कोचों का कहना है कि इस तरह का माहौल उनके प्रदर्शन और मानसिक तैयारी पर बुरा असर डाल सकता है। उन्होंने मांग की है कि जल्द से जल्द स्टेडियम और उसके आसपास से कुत्तों को पूरी तरह हटाकर उन्हें सुरक्षित माहौल दिया जाए।

इससे पहले रात में भी यहां कुत्ते नजर आए थे। पीसीआइ के तकनीकी निदेशक सत्यपाल सिंह ने बताया कि करीब 20 कर्मचारियों की दो टीमों के साथ कुत्तों को पकड़ने वाले दो वैन लगाए गए हैं। हमारे यहां मेहमान आए हुए है, उन्हें कुत्ते ने काटा, ये बेहद दुखद है।



आज हमें ट्रैक पर कुत्ते नहीं दिखे लेकिन हो सकता है सुबह अभ्यास के दौरान कुत्ते आए हों। क्योंकि बहुत सारे गेट हैं, कोई कुत्ता कब आ जाए, पता नहीं चलता। पूरे स्टेडियम परिसर के पास 50 से 52 कुत्ते हैं। वहीं निगम के अधिकारियों ने बताया कि पिछले 24 घंटे में वहां से करीब 22 कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम भेजा गया है।
पशु प्रेमी बना रहे कुत्तों को नहीं पकड़ने का दवाब

कुत्तों को पकड़ने के विरुद्ध कुछ पशु प्रेमी भी सक्रिय हो गए हैं। सत्यपाल ने बताया कि मेरे पास पशु प्रेमियों का नोटिस आया है। वह इन कुत्तों को यहां से हटाने व पकड़े जाने का विरोध कर रहे हैं।


कुत्तों को लेकर दिशा-निर्देश तक ही सीमित रह गई निगम की कवायद

दिल्ली-एनसीआर आवारा कुत्तों का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट से निकायों को दो-दो बार आदेश भी मिल गए। साथ ही इसको लेकर दिल्ली सरकार ने दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए लेकिन सारी कवायद दिशा-निर्देशों तक ही सीमित रह गई। जमीनी स्तर पर आवारा कुत्तों को लेकर कोई कार्य नहीं दिख रहा है।



यही वजह है कि इस समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। जो खूंखार आवारा कुत्तों की शिकायतें भी निगम के पास आ रही हैं, संसाधनों और कर्मचारियों की कमी के कारण उनका निवारण नहीं हो रहा है। फीडिंग प्वाइंट बनाने में एमसीडी की कछुआ चाल भी जेएलएन स्टेडियम जैसी घटनाओं को दावत दे रही हैं।

पार्क, फुटपाथ, पार्किंग में आवारा कुत्तों को फीडिंग कराई जा रही है। जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप नए फीडिंग प्वाइंट वार्ड अनुसार बनने हैं। जहां पर साइनेज भी लगना है।



बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को दिल्ली-एनसीआर की सड़कों से सभी आवारा कुत्तों को हटाकर शेल्टर होम पहुंचाने का आदेश दिया था।

बाद में 22 अगस्त को संशोधित आदेश में खूंखार कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम पहुंचाने की बात थी। निगम ने इसके लिए द्वारका सेक्टर 29 में एक जगह भी चिह्नित की थी लेकिन अभी इसका डिजाइन निगम के अभियांत्रिक विभाग के पास लंबित है।








कुत्तों के काटने के हर दिन 2,000 मामले सामने आ रहे

एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली के निजी और सरकारी अस्पतालों में हर दिन कुत्तों के काटने के 2,000 मामले सामने आ रहे हैं। आरएमएल और सफदरजंग अस्पताल में ही प्रतिदिन 300 से 400 मामले पहुंचते हैं। दिल्ली व केंद्र सरकार के अस्पतालों में प्रतिदिन का आंकड़ा एक हजार को पार कर जाता है।

इसके साथ नगर निगम की 20 डिस्पेंसरियों से लेकर अस्पतालों में एंटी रेबीज टीकाकरण किया जाता है। यहां प्रतिदिन 500 के करीब मरीज पहुंचते हैं। इतनी संख्या में लोग निजी अस्पतालों में पहुंचते हैं। अस्पतालों के अनुसार दिल्ली में फिलहाल आवारा कुत्तों के काटने के मामलों में कोई कमी नहीं आई है।
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