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Science Festival बाल विज्ञानियों के मन में पानी बचाने की चिंता, बनाए ऐसे मॉडल देखकर खुश हो गया दिल

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बच्चों ने प्रस्तुत किए बेहतर प्रबंधन से पानी बर्बादी रोकने के मॉडल. Jagran



जागरण संवाददाता, हल्द्वानी । नई पीढ़ी जल और पर्यावरण संरक्षण को लेकर सजग है। इसका परिचय राज्य स्तरीय विज्ञान महोत्सव में दिख रहा है। जहां बच्चों ने अपनी नवाचारी सोच का परिचर देते हुए आकर्षक मॉडल प्रस्तुत किए हैं। जिसमें हवा और पानी को बचाने के लिए छोटे-छोटे घरेलू प्रयासों के साथ आधुनिक तकनीकी के इस्तेमाल संबंधित सुझाव दिए हैं। इस आयोजन में प्रदेशभर से पहुंचे कई बाल विज्ञानियों ने पानी की बर्बादी रोकने के लिए बेहतर प्रबंधन के तरीके बताए हैं। जो पानी बचाने को लेकर उनकी चिंता को दर्शाता है। साथ ही कृषि पर आधारित मॉडल प्रस्तुत किए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
स्मार्ट फोन से नियंत्रित की जा सकती है खेतों की सिंचाई

स्मार्ट फोन हमारी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन चुका है। शिक्षा, स्वास्थ्य और बैंकिंग से लेकर खरीदारी मोबाइल से संभव है। कृषि में भी फोन काफी उपयोगी साबित हो रहा है। ऐसे में अब किसान खेतों की सिंचाई को फोन से नियंत्रित किया जा सकता है। जीजीआइसी राजपुर रोड देहरादून की छात्रा समीरा जयाड़ा ने इससे संबंधित मॉडल बनाया है। जिसे ब्लूटूथ कंट्रोल वाटर सिस्टम नाम दिया है।समीरा ने बताया उन्होंने अपने शिक्षक की मदद से मोबाइल एप बनाया है। खेत में सेंसर लगाकर मोबाइल पर नमी को मानिटर किया जा सकता है। नमी का स्तर कम होने पर मोबाइल एप से ही सिंचाई के सिस्टम को चालू और बंद किया जा सकता है। इससे खेत में समय से सिंचाई की जा सकती है। साथ ही मोबाइल से नियंत्रित करने पर पानी की बर्बादी को भी रोका जा सकता है।
खेतों की सिंचाई संग पानी बचाने में भी सौर ऊर्जा मददगार

पब्लिक इंटर कालेज सुरखेत में नवीं की छात्रा कनिष्का कैंथोला ने सतत कृषि में सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई पद्धति के प्रयोग को बताता सिस्टम बनाया है। कनिष्का ने बताया कि खेतों की सिंचाई के दौरान काफी पानी बर्बाद हो जाता है। ऐसे में सौर ऊर्जा की मदद से सिस्टम बनाया जा सकता है। जिससे भूमिगत टैंक में एकत्र पानी को ऊंचाई पर स्थापित टैंक में चढ़ाकर पाइपों के जरिये ड्राप तकनीक से खेतों में पानी छोड़ा जा सकता है। शेष बचा हुआ पानी उन्हीं पाइपों के जरिये फिर उसी भूमिगत टैंक में चला जाएगा। साथ ही खेतों से निकलकर आने वाला पानी भी टैंक में एकत्र हो जाएगा। ऐसे में पानी की बर्बादी नहीं होगी और दोबारा प्रयोग हो सकेगा। यह पूरा सिस्टम सौर ऊर्जा से चलाया जा सकता है और किसान उसी ऊर्जा से लाइट भी जला सकते हैं।
कोहरे की नमी से पानी निकाल किया जा सकता है प्रयोग

मैदानी क्षेत्रों में सर्दी और पर्वतीय इलाकों में गर्मी के दौरान कोहरा अथवा हाल दिखाई देती है। इस धुंध में नमी होती है जिसमें से पानी निकालकर दैनिक उपयोग में लाया जा सकता है। कैंट बोर्ड हाईस्कूल लैंसडौन में नवीं के छात्र अंश ने इस पर केंद्रित मॉडल तैयार किया है। अंश ने बताया कि एक बड़े एग्जास्ट सिस्टम के पास फिल्टर लगाकर उसके माध्यम से कोहरे को खींचा जा सकता है। जिसमें फिल्टर में एकत्र होने वाली नमी से प्राप्त पानी को स्टोर कर फिल्टर कर सकते हैं। इस पानी को पीने के साथ ही खेतों में सिंचाई के साथ ही अन्य कामों में भी लिया जा सकता है।
आधुनिक अलार्मिंग तकनीक पानी बचाने संग दोबारा प्रयोग संभव

एयू जीआइसी रुडकी में आठवीं के छात्र ऋषभ और जीआइसी चाफी में सातवीं की छात्रा यामिनी तिवारी ने जल संरक्षण पर केंद्रित अलग-अलग मॉडल बनाए हैं। इसमें उन्होंने आधुनिक अलार्मिंग तकनीक से घरों की होने वाली पानी की बर्बादी को रोकने के सुझाव दिए हैं। छतों पर लगने वाली टंकी में सेंसर लगाकर पानी का बर्बाद होने से रोका जा सकता है। साथ ही टंकी से यदि पानी बाहर आ जाए तो उसे वाहन धोने में प्रयोग कर सकते हैं। वाहन धोने के बाद बहने वाले पानी को छोटा सा प्लांट लगाकर साफ किया जा सकता है। जो खेतों में प्रयोग हो सकता है। ऐसा ही टायलेट भी प्रयोग हो सकता है।
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