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भोजपुर में महिलाओं और बच्चे एनीमिया के चपेट में। सांकेतिक तस्वीर
अरुण प्रसाद, आरा। जिले में 06 से 59 माह के 69.5 प्रतिशत बच्चे एवं 58.3 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं समेत प्रजनन आयु वर्ग की 63.6 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं। इस बीमारी से बचाव के लिए स्वास्थ विभाग के एक अभियान के तहत छह विभिन्न आयु वर्ग की महिलाओं व बच्चों को लक्षित किया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य एनीमिया जैसे गंभीर रोगों से उनका बचाव करना है। इस कार्यक्रम के तहत एनीमिया में प्रतिवर्ष तीन प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है।
कुपोषण के खिलाफ जारी लड़ाई में एनीमिया बनी गंभीर बाधा
कुपोषण से लड़ने की राह में एनीमिया एक गंभीर बीमारी व बाधा के रूप में उभरी है। खासकर महिलाएं और प्रसूताओं को इस बीमारी से ज्यादा परेशानी हो रही है। थोड़ी सी भी लापरवाही जान को जोखिम में डाल सकती है।
इसलिए लोगों को इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। व्यक्ति के शरीर में आयरन की कमी के कारण जब हीमोग्लोबिन का बनना सामान्य से कम हो जाता है, तब शरीर में खून की कमी होने लगती है।
इस स्थिति को ही एनीमिया कहा जाता है। इस बीमारी से बचाव के लिए लोगों को जीवनशैली में बदलाव और आयरनयुक्त आहार का सेवन करने की जरूरत है। जिले में स्वास्थ्य विभाग केंद्र सरकार द्वारा संचालित एनीमिया मुक्त भारत निर्माण योजना को प्रभावी बनाने के प्रयासों में जुट गया है।
डक्टर की सलाह से लें दवा और खानपान
सिविल सर्जन डॉ. एसके सिन्हा ने बताया कि एनीमिया का शुरुआती लक्षण थकान, कमजोरी, त्वचा का पीला होना, दिल की धड़कन में बदलाव, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, सीने में दर्द होना, हाथों और पैरों का ठंडा होना, सिरदर्द आदि हैं।
ऐसे लक्षण अगर आपको दिखाई दें तो तत्काल अपनी जीवनशैली में बदलाव करें और डाक्टर के पास जाकर इलाज करवाएं। डाक्टर की सलाह के मुताबिक दवा और खानपान लें।
एनीमिया के दौरान प्रोटीनयुक्त भोजन जैसे- पालक, सोयाबीन, चुकंदर, लाल मांस, मूंगफली, मक्खन, अंडे, टमाटर, अनार, शहद, सेब, खजूर आदि का सेवन करें, जो आपके शरीर में खून की कमी को पूरा करता है। इन चीजों का सेवन करते रहने से आप एनीमिया की चपेट में आने से बच सकते हैं। |
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