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मंडी में धान उठान ठप : एफआरके की कमी से किसानों की बढ़ी चिंता, तीन दिन से बंद खरीद

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कमलेश शर्मा, जागरण, बरेली। किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए धान खरीद एक अक्टूबर से ही शुरू हो चुका है। तेजी से धान भी खरीदा गया, लेकिन उठान की व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। मंडियों से लेकर क्रय केंद्रों तक खुले में हजारों क्विंटल धान पड़े हुए हैं।जगह न होने से सदर मंडी समिति में खुले क्रय केंद्रों पर तीन दिन से खरीद बंद पड़ी है। धान की तौल कराने के लिए किसान परेशान हो रहे हैं।क्रय केंद्रों के प्रभारी तौल के लिए जगह खाली होने का इंतजार कर रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

जिले में पिछली साल की तुलना में अब तक दोगुणा खरीद हो चुकी है, लेकिन मंडियों और क्रय केंद्रों से खरीदे गए धान के उठान नहीं हो पाने से व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। जिले में 124 क्रय केंद्रों का संचालन किया जा रहा है। जिनमें 44 केंद्र खाद्य एवं विपणन विभाग, 30 केंद्र पीसीएफ, 22 केंद्र यूपीएसएस, 21 केंद्र पीसीयू, तीन केंद्र मंडी परिषद और दो केंद्र एफसीआइ को आवंटित किया गया है।

पिछली साल 1.30 लाख क्विंटल धान खरीद का लक्ष्य रखा गया था, जिसके सापेक्ष 1,24,245 क्विंटल धान की खरीद हुई थी। इस बार खरीद का लक्ष्य 1.32 लाख क्विंटल निर्धारित किया गया है। मोटा धान का समर्थन मूल्य 2,360 रुपये क्विंटल जबकि ग्रेड ए का धान 2,389 रुपये क्विंटल निर्धारित किया गया है।

क्रय केंद्रों को एक अक्टूबर से ही क्रियाशील करा दिया गया था, लेकिन खरीद 15 अक्टूबर के बाद शुरू हुई है। क्रय एजेंसियों ने अब तक 21,346 एमटी धान खरीदा है। इनमें खाद्य विभाग ने 11,012 एमटी, पीसीएफ ने 3,052 एमटी, यूपीएसएस ने 3,275 एमटी, पीसीयू ने 2,268 एमटी और मंडी परिषद ने 1,389 एमटी धान खरीदा है।

पिछली साल 11 नवंबर तक 11,294 एमटी ही खरीदा जा सका था। मंगलवार सदर मंडी में खुले दोनों राजकीय क्रय केंद्रों पर खरीद ठप पड़ी थी। हर तरफ धान के चट्टे लगे हुए हैं। खुले आसमान के नीचे धान पड़े हुए हैं, अगर वर्षा हो गई तो बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है। केंद्र प्रभारी रामपाल श्रीवास्तव ने बताया कि उनके केंद्र पर अब तक 3,365 क्विंटल धान की खरीद हो चुकी है, लेकिन अब जगह ही नहीं बची है। इसलिए तीन दिन से तौल नहीं हो पा रही है। उठान नहीं होने से दिक्कत आई है।

धान खरीद व्यवस्था में सब कुछ ठीक चल रहा है, किसानों को भुगतान भी मिल रहा है, लेकिन उठान नहीं होने से क्रय केंद्रों से लेकर मंडी तक धान रखने की जगह नहीं है। इसकी वजह तलाशी गई तो पता चला कि एफआरके (फोर्टिफाइड राइस कर्नेल) का टेंडर लुधियाना, रोहतक और मध्य प्रदेश की कंपनियों को दिया गया है, जो एफआरके उपलब्ध नहीं करा पा रही हैं।

एफआरके की आवश्यकता राइस मिलर्स को पड़ती है। एक क्विंटल चावल में एक किलो एफआरके मिलने के बाद वह चावल सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए तैयार हो जाता है। बताते हैं कि कंपनियों ने एफआरके का नमूना केंद्र सरकार को अप्रूवल के लिए भेजा है, लेकिन वहां से अभी तक अप्रूवल नहीं मिल सका है। एक समस्या यह भी आ रही है कि पिछली साल एक क्रय केंद्र को 6-7 राइस मिलें आवंटित की गई थीं, जबकि इस बार एक केंद्र को एक ही राइस मिल का आवंटन किया गया है। इससे भी उठान में समस्या आ रही है।

  


जिले में इस साल अब तक पिछली साल की तुलना में दोगुणा खरीद हो चुकी है। उठान में समस्या आई है, जिसकी वजह से जगह न होने के कारण कुछ केंद्रों पर खरीद बंद पड़ी है। लुधियाना, रोहतक, मध्य प्रदेश की कंपनियों को एफआरके उपलब्ध कराना है, लेकिन आवश्यकता के अनुरूप उपलब्ध नहीं करा पा रही हैं। संबंधित कंपनियों के प्रतिनिधियों से बात कर उठान की गति तेज कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। किसान धैर्य रखें, सभी का धान खरीदा जाएगा, पारदर्शी तरीके से केंद्रों पर तौल कराकर किसानों के खाते में भुगतान कराया जा रहा है।

- कमलेश कुमार पांडेय, डिप्टी आरएमओ

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