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Bihar Politics: लालू और तेजस्वी के पाले में आ गए जदयू के पूर्व सांसद, मगर सामने खड़ी है बड़ी टेंशन!

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发表于 2025-10-28 18:24:08 | 显示全部楼层 |阅读模式
  



राजीव कुमार, पूर्णिया। जदयू के पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा पाला बदल राजद में शामिल हो गए हैं और धमदाहा से उनका चुनाव लड़ना भी तय हो गया है। इस निर्णय से मचे राजनीतिक उथल-पुथल के बीच पूर्व सांसद की आगे की राह बहुत आसान नहीं दिख रही है। नई पार्टी में अब उनके अपने ही राह में कांटा बुनने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

उनके राजद में शामिल होने की घोषणा के साथ ही इसकी झलक भी दिखने लगी है। धमदाहा से ही राजद के एक बड़े दावेदार निरंजन कुशवाहा जल्द ही जदयू का दामन थामने वाले हैं और वे धमदाहा में पूर्व सांसद के खिलाफ मोर्चा संभालेंगे। इसी तरह धमदाहा में राजद के पर्याय बन चुके पूर्व विधायक दिलीप कुमार यादव के समर्थकों व कार्यकर्ताओं का आक्रोश अलग है।  

बतौर दिलीप कुमार यादव वे पार्टी के सच्चे सिपाही हैं और लगभग तीन दशक से पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा रही है। निश्चित रुप से समर्थकों व कार्यकर्ताओं में आक्रोश है, लेकिन सभी को समझाने की कोशिश की जा रही है। वे पार्टी के निर्णय के साथ हैं और पार्टी की दिशा-निर्देश के आलोक में अपनी भूमिका निभाएंगे। यद्यपि यह एक औपचारिक बयान है और पार्टी की अनुशासनिक प्रतिबद्धता भी।

पूर्व विधायक दिलीप कुमार यादव लगातार तीन दशक से धमदाहा में पार्टी का चेहरा बने हुए हैं। सन 1995 में पहली बार पार्टी ने उन्हें मैदान में उतारा था और उन्होंने जीत दर्ज की थी। अक्टूबर 2005 के चुनाव में भी उन्होंने विजय पताका फहराया था।

सन 2010 में वे वर्तमान विधायक सह बिहार सरकार की मंत्री लेशी सिंह से पिछड़ गए थे। वर्ष 2015 में जदयू-राजद के साथ आ जाने से वे जाप से मैदान में उतरे, लेकिन तीसरे स्थान पर रहे। चुनाव बाद उनकी घर वापसी हुई और वर्ष 2020 के चुनाव में वे दूसरे स्थान पर रहे।

इस राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बीच क्षेत्र में उनकी सक्रियता बरकरार रही। कार्यकर्ताओं पर उनकी पकड़ कायम थी और क्षेत्र भ्रमण भी उनका जारी थी।

इस चुनाव के लिए भी गत ढाई साल से उन्होंने अपनी सक्रियता काफी बढ़ा दी थी और कार्यकर्ताओं व समर्थकों में भी नया उत्साह भरने का काम किया था, लेकिन ऐन मौके पर बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के शिकार वे हो गए और अब उसी उत्साह से पार्टी के लिए काम करना उनके लिए टेढ़ी खीर होगी।

इससे विलग आलाकमान ई बिनोद यादव भी लगातार तीन वर्षों से न केवल क्षेत्र में सक्रिय थे, बल्कि पटना में आयोजित पार्टी के कई कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए एड़ी-चोटी लगा रहे थे। इस परिस्थिति में जमीनी स्तर पर पूर्व सांसद के लिए सब कुछ बहुत सहज रहने वाला नहीं है।
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