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जमुई की 4 विधानसभा सीटों पर सियासी हलचल तेज।
संवाद सहयोगी, जमुई। द्वितीय और आखिरी चरण में मतदान को लेकर सोमवार को अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई, लिहाजा कई संभावित दावेदारों ने नामांकन की तारीख घोषित कर दी है। यह दीगर बात है कि उम्मीदवारों की सूची आधिकारिक रूप से दोनों ही मुख्य गठबंधन की ओर से अब तक जारी नहीं हो पाई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
हालांकि, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में उम्मीदवारी को लेकर स्थित स्पष्ट हो चुकी है और सिर्फ औपचारिकता की मोहर बाकी है। इस बात को नामांकन पर्चा दाखिल करने की तिथि की घोषणा, कार्यालय के लिए भवनों की बुकिंग तथा अन्य दावेदारों के बदले सुर बल दे रहा है।
बताया जाता है कि जमुई जिला अंतर्गत सभी चार विधानसभा क्षेत्र से एनडीए ने अपने पुराने चेहरे पर ही भरोसा किया है, अर्थात सिकंदरा से हम पार्टी के प्रफुल्ल कुमार मांझी, जमुई से भाजपा की श्रेयसी सिंह, झाझा से जदयू के दामोदर रावत तथा चकाई से जदयू की टिकट पर मंत्री सुमित कुमार सिंह को नामांकन की तैयारी की हरी झंडी मिल गई है।
इसी कड़ी में मंत्री सुमित कुमार सिंह ने बाबा विश्वनाथ की पूजा करने के लिए रवाना होने से पहले ही नामांकन की तारीख 18 अक्टूबर घोषित कर दी है। इधर, चकाई से बीते चुनाव में जदयू प्रत्याशी संजय प्रसाद ने 17 अक्टूबर को निर्दलीय अभ्यर्थी के रूप में नामांकन पर्चा दाखिल करने का ऐलान कर जदयू से बगावत का बिगुल फूंक दिया है।
इधर, चंदन फाउंडेशन के संस्थापक चंदन सिंह ने भी निर्दलीय मैदान में उतरने की घोषणा कर दी है। महागठबंधन खेमा से छनकर आ रही खबरों के मुताबिक चकाई से चाची, अर्थात सावित्री देवी को नामांकन की तैयारी करने का संदेशा मिल गया है। झाझा में जदयू से दामोदर रावत ने नामांकन की तिथि भले घोषित नहीं की है, लेकिन उनकी तैयारी चल रही है।
कुछ ऐसी ही स्थिति जमुई सदर विधानसभा क्षेत्र की है। यहां से भाजपा की श्रेयसी सिंह ने चुनाव कार्यालय के लिए स्टेशन रोड स्थित एक विवाह भवन को चुनाव भर के लिए बुक कर लिया है। सिकंदरा में भी लोजपा से दावेदारी कर रहे सुभाष और रविशंकर ठंड पड़ गए हैं। यह सीट लोजपा रामविलास के खाते में आई ही नहीं।
हालांकि, सुभाष पासवान के कांग्रेस से भी संपर्क में रहने की चर्चा आम है। महागठबंधन से कौन कहां लड़ेगा, यही स्थिति अभी स्पष्ट नहीं हुई है, लिहाजा निचले स्तर पर समर्थकों से लेकर कार्यकर्ताओं के बीच ऊहापोह की स्थिति बनी है। मतदाताओं की भी उत्सुकता कायम है कि आखिर एक पहलवान तो मैदान में आ गया, मुकाबले में कौन रहेगा, यह भी जल्द स्पष्ट हो जाए तो चुनावी चर्चा को गर्माहट मिलेगी। बहरहाल, महागठबंधन में गठबंधन की गांठ सुलझने का इंतजार है। |
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