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इंटरनेट मीडिया अकाउंट्स की ब्लॉकिंग के लिए दिशानिर्देशों की मांग, सुप्रीम कोर्ट का विचार से इन्कार

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发表于 2025-10-28 18:23:49 | 显示全部楼层 |阅读模式
  

सुप्रीम कोर्ट ने दिशानिर्देश याचिका खारिज की। फाइल फोटो  



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट मीडिया अकाउंट्स के निलंबन और ब्लॉकिंग के संबंध में इंटरनेट मीडिया इंटरमीडियरीज के लिए देशव्यापी दिशानिर्देश की मांग वाली याचिका पर शुक्रवार को विचार करने से इन्कार कर दिया। शीर्ष अदालत ने दोनों याचिकाकर्ताओं को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी और कहा कि वे किसी भी उपयुक्त मंच पर कानून में उपलब्ध किसी अन्य उपाय का सहारा लेने के लिए स्वतंत्र हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ को याचिकाकर्ताओं के वकील ने बताया कि बिना कारण बताए उनका वाट्सएप ब्लाक कर दिया गया है, जिसका इस्तेमाल वे ग्राहकों से संवाद के लिए करते थे। इस पीठ ने कहा, \“\“संवाद के लिए अन्य एप्लिकेशन भी हैं, आप उनका इस्तेमाल कर सकते हैं। हाल ही में एक स्वदेशी मैसे¨जग एप बनाया गया है और याचिकाकर्ता उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।\“\“ साथ ही सवाल किया कि याचिकाकर्ताओं का वाट्सएप क्यों ब्लाक किया गया है। तो वकील ने कहा कि उन्हें कोई कारण नहीं बताया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने दिशानिर्देश याचिका खारिज की

पीठ ने पूछा, \“\“वाट्सएप तक पहुंच का आपका मौलिक अधिकार क्या है? आपने संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका क्यों दाखिल की।\“ वकील ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का एक क्लीनिक और एक पालीडायग्नोस्टिक सेंटर है। वे पिछले 10-12 वर्षों से अपने ग्राहकों से वाट्सएप के जरिये संवाद कर रहे थे। वकील ने याचिका में की गई प्रार्थना का हवाला देते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं ने अकाउंट निलंबित करने और ब्लाक करने के वास्ते इंटरनेट मीडिया इंटरमीडियरीज के लिए देशव्यापी दिशानिर्देश मांगे हैं जिससे उचित प्रक्रिया, पारदर्शिता और आनुपातिकता सुनिश्चित हो।
याचिकाकर्ताओं को उच्च न्यायालय जाने का सुझाव

आखिर जवाब देने का मौका दिए बिना उनका वाट्सएप कैसे ब्लाक किया जा सकता है। इस पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता अपनी शिकायतों के साथ हाई कोर्ट का रुख कर सकते हैं। साथ ही पूछा, \“\“क्या वाट्सएप या इंटरमीडियरी, कोई राज्य है?\“\“ जब वकील ने नहीं में जवाब दिया तो पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट के समक्ष रिट याचिका भी विचारणीय नहीं हो सकती है। याचिकाकर्ता दीवानी मुकदमा दायर कर सकते हैं।

(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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