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Bihar Chunav: चुनावी चौसर पर बिछने लगी मोहरें, जमालपुर की जनता हर बार देती है चौंकाने वाले परिणाम

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发表于 2025-10-28 18:23:39 | 显示全部楼层 |阅读模式
  

प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)



केएम राज, जमालपुर (मुंगेर)। बिहार विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू चुकी है। इसके साथ ही चुनावी चौसर पर माेहरे को सामने लाने की भी प्रक्रिया तेज हो गई है।

राजनीति के माहिर खिलाड़ी अभी तक राजनीतिक समीकरण सेट करने में लग गए हैं। ऐसे में यदि हम जमालपुर विधानसभा क्षेत्र के गत लगभग सात दशकों के चुनावी समीकरण पर नजर डालें तो पाते हैं कि इस सीट पर लंबे समय तक किसी खास राजनीतिक दल का दबदबा नहीं रह पाया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

1952 में हुए पहले आम चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी योगेंद्र महतो की जीत हुई। लगातार तीन बार कांग्रेस से यह जीतते रहे। इसके बाद कांग्रेस का विजय रथ रूक गया। फिर 58 वर्ष बाद 2020 में ही कहीं जाकर कांग्रेस यहां दोबारा लौटने में कामयाब हो पाई। इसकी पीछे का मुख्य कारण संगठनात्मक स्तर पर उसकी कमजोरियां ही रही।

बीच के कालखंड में अन्य दलों के भी प्रत्याशी यहां से चुनाव जीतते रहे। 1990 के दशक से लेकर 2005 तक इस सीट पर राजद के उपेंद्र प्रसाद वर्मा लगातार 25 वर्षों तक पार्टी का परचम बुलंद करते रहे। वे कई विभागों के मंत्री भी रहे। इसके बाद 2005 में जदयू के शैलेश कुमार से वे बुरी तरह हार गए।

वहीं, शैलेश कुमार भी लगातार तीन बार इस सीट से विधायक रहे तथा एक बार मंत्री भी रहे। 2020 में उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. अजय कुमार सिंह के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा। इस बीच यदि हम विकास की बात करें तो यहां विकास कभी बड़ा चुनावी मुद्दा नहीं बन पाया।

यहां के अधिकांश विधायक चुनावी समीकरण के आधार पर जीतकर विधानसभा तक पहुंचते रहे। उपेंद्र प्रसाद वर्मा माई समीकरण के आधार पर तथा कोयरी-कुर्मी समाज के वोटबैंक में सेंधमारी कर चुनाव जीतते रहे।
जनता के आक्रोश से आया बदलाव

2005 में चुनावी फिजा में बदलाव आया तथा शैलेश कुमार को उपेंद्र प्रसाद वर्मा के खिलाफ जनता में असंतोष तथा सवर्ण समाज का साथ मिला और वे चुनाव जीत गए।

2020 में जनता के असंतोष का खामियाजा उन्हें भी भुगतना पड़ा तथा कांग्रेस के अपेक्षाकृत कमजाेर प्रत्याशी होने के बावजूद डॉ. अजय सिंह के हाथों उन्हें हार का समाना करना पड़ा। डॉ. अजय कुमार सिंह को एमवाई समीकरण का साथ तो मिला ही तथा उन्हें सवर्ण मतदाताओं का भी समर्थन हासिल हुआ।

ऐसा कर वे चुनाव जीतने में कामयाब रहे। हालांकि 2020 के चुनाव में कांग्रेस की जीत तथा जदयू की हार का पीछे का एक कारण लोजपा भी बनी। लोजपा ने यहां सवर्ण समाज से प्रत्याशी दिया। इसके कारण सवर्ण समाज के मतों में लोजपा प्रत्याशी ने सेंधमारी की। इसके कारण भी कांग्रेस को यहां से वाकआउट मिल गया।
लोस में एनडीए को मिली थी बढ़त

अब तक यहां 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और सबसे ज्यादा चार बार जीत कांग्रेस और जदयू को मिली है। कांग्रेस ने यहां शुरुआती चुनावों में जीत हासिल की थी, लेकिन इसके बाद पार्टी ने यहां अपनी जमीन खो दी। साल 2020 में कांग्रेस ने 68 साल बाद जीत दर्ज की। जनता पार्टी और जनता दल ने दो-दो बार यह विधानसभा सीट जीती है।

वहीं, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भाजपा, लोक दल और राष्ट्रीय जनता दल ने एक-एक बार इस सीट पर कब्जा किया है। जमालपुर में भले ही कांग्रेस पिछला विधानसभा चुनाव जीती हो, लेकिन यहां एनडीए मजबूत स्थिति में है।

2024 लोकसभा चुनाव के दौरान भी एनडीए उम्मीदवार को इस विधानसभा क्षेत्र से बढ़त मिली थी। ऐसे में इस बार भी एनडीए का पलड़ा ही भारी नजर आता है। हालांकि, प्रशांत किशोर समीकरण बिगाड़ सकते हैं, लेकिन सबसे मजबूत स्थिति में एनडीए गठबंधन ही नजर आ रहा है।
जमालपुर में वोटरों की संख्या

  • पुरुष -175204
  • महिला-153113
  • मंगलामुखी-11
  • कुल वोटर 328328
  • लिंगानुपात -874

कब कौन बने विधायक

  • 1952 : योगेंद्र महतो कांग्रेस
  • 1957: योगेंद्र महतो, कांग्रेस
  • 1962 : योगेंद्र महतो, कांग्रेस
  • 1977: सुरेश कुमार सिंह जेएनपी
  • 1980:उपेंद्र प्रसाद वर्मा जेएनपी
  • 1985:उपेंद्र प्रसाद वर्मा, एलकेडी
  • 1990: उपेंद्र प्रसाद वर्मा, जनता दल
  • 1995: उपेंद्र प्रसाद वर्मा, जनता दल
  • 2000: उपेंद्र प्रसाद वर्मा राजद
  • 2005: शैलेश कुमार जदयू
  • 2010: शैलेश कुमार जदयू
  • 2015: शैलेश कुमार जदयू
  • 2020: अजय कुमार सिंह कांग्रेस
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