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IPS पूरन के पोस्टमार्टम में देरी से बढ़ रही IAS-IPS लॉबी में तनातनी, कई अधिकारी अमनीत कुमार के तो कई DGP कपूर के समर्थन में

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发表于 2025-10-28 18:22:53 | 显示全部楼层 |阅读模式
  

IPS पूरन के पोस्टमार्टम में देरी से बढ़ रही IAS-IPS लॉबी में तनातनी। फाइल फोटो



राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के आइपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार के आत्महत्या प्रकरण में राज्य की अफसरशाही में पूरी तरह से खेमों में बंट गई है। कई आइपीएस और एचपीएस अधिकारी जहां वाई पूरन कुमार के साथ सहानुभूति जताते हुए उन्हें न्याय के लिए अप्रत्यक्ष रूप से मुहिम चला रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

वहीं कुछ आइएएस व एचीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आइएएस पत्नी अमनीत पी कुमार के साथ न्याय की लड़ाई में खड़े हैं। वाई पूरन कुमार अनुसूचित जाति से संबंध रखते थे। उनकी धर्मपत्नी अमनीत पी कुमार मूल रूप से पंजाब की रहने वाले हैं और अनुसूचित जाति से ही हैं।

एडीजीपी रैंक के आइजी वाई पूरन कुमार ने अपने फाइनल नोट में मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया समेत 15 अधिकारियों को उत्पीड़न करने, गाली-गलौच करने और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए प्रताड़ित करने के आरोप लगाये हैं।

सुसाइड नोट और फाइनल नोट में यह अंतर है कि फाइनल नोट को मृतक का अंतिम बयान मानकर कार्रवाई की जाती है। इसके आधार पर चंडीगढ़ पुलिस ने इन अधिकारियों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कर दी और एससी-एसटी एक्ट की मजबूत धाराएं भी बदल दी हैं, लेकिन वाई पूरन कुमार और अममीत पी कुमार का परिवार शत्रुजीत कपूर व नरेंद्र बिजारनिया को निलंबित कर गिरफ्तार करने की मांग पर अड़ा हुआ है।

नरेंद्र बिजरानिया राजस्थान के रहने वाले हैं तथा जाट समाज से हैं, जबकि शत्रुजीत कपूर मूल रूप से जींद के रहने वाले हैं और पंजाबी हैं। कपूर ने एंटी करप्शन ब्यूरो के महानिदेशक रहते हुए कई अधिकारियों पर कार्रवाई की थी, जिससे उन्हें कपूर के विरुद्ध एकजुट होने का मौका मिल गया है।

राज्य की आइएएस, एचपीएस, आइपीएस और एचसीएस लाबी के कई अधिकारी कपूर व बिजरानिया के समर्थन में खड़े हो गये हैं। उन्होंने राज्य के विभिन्न जिलों में आंदोलन करते हुए सरकार पर दबाव बना दिया है कि यदि बिना जांच पूरी किये कपूर व बिजरानिया को निलंबित अथवा गिरफ्तार किया गया तो इसके नतीजे अच्छे नहीं होंगे।

हरियाणा सरकार ने अमनीत कुमार के परिवार को भरोसा दिलाया है कि जांच के बाद भले ही कितना भी बड़ा अधिकारी हो, यदि दोषी पाया गया तो उसे बख्शा नहीं जाएगा, लेकिन परिवार पहले कार्रवाई चाह रहा है। इसे लेकर सरकार की मुश्किल बढ़ती जा रही है और राज्य की अफसरशाही में धड़ेबंदी बहुत अधिक गहरा गई है।

बिहार में चुनाव होने की वजह से केंद्र सरकार भी इस पूरे प्रकरण को लेकर चिंतित है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी केंद्र को पूरी रिपोर्ट दे रहे हैं। बताया जाता है कि जल्दी ही केंद्र से भाजपा के कुछ दलित नेता चंडीगढ़ पहुंचकर पूरे मामले में हस्तक्षेप करेंगे, जिसके बाद कुछ राहत की उम्मीद की जा सकती है।
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