找回密码
 立即注册
搜索
查看: 944|回复: 0

Bihar Chunav: साहित्य में लहराया परचम, सियासत के मैदान में मात खा गए रेणु

[复制链接]

8万

主题

-651

回帖

24万

积分

论坛元老

积分
247141
发表于 2025-10-28 18:21:52 | 显示全部楼层 |阅读模式
  

1972 में चुनाव के मैदान में उतरे थे फणीश्वरनाथ रेणु। (फाइल फोटो)



दीपक कुमार गुप्ता, सिकटी(अररिया)। लेखक भी समाज का हिस्सा होते हैं। समाज में घटित घटनाएं लेखक को और लेखक की रचनाएं समाज को परस्पर प्रभावित करती है। कई बार लेखक बदलाव के लिए सक्रिए राजनीति में आकर कलम से इतर योगदान देने की कोशिश भी करते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

हिंदी के महान आंचलिक कथाकर फणीश्वर नाथ रेणु ने भी सियासत की गलियों में कदम रखा था, लेकिन उन्हें साहित्य वाली शोहरत इस क्षेत्र में नहीं मिल सकी। मैला आंचल और परती-परिकथा जैसी कालजयी कृतियों के रचनाकार रेणु ने 1972 के विधानसभा चुनाव में सक्रिय राजनीति का रास्ता चुना था।

वे समाजवादी विचारधारा से काफी प्रभावित थे। फारबिसगंज सीट से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी उन्हें चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा था।
1942 के आंदोलन में भागलपुर जेल में थे बंद

कांग्रेस नेता सरयू मिश्रा और सोशलिस्ट पार्टी के लखन लाल कपूर से रेणु की पुरानी दोस्ती थी। 1942 के आंदोलन में तीनों मित्र भागलपुर जेल में बंद रहे। विचारों में विरोध की वजह से 1972 में ये तीनों मित्र एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा। रेणु के दोनों मित्रों ने उन्हें समझाने की खूब कोशिश की लेकिन वे अपने फैसले पर टिके रहे।

रेणु किसानों, मजदूरों और अवाम की समस्याओं को सामने लाना चाहते थे, जो साकार नहीं हो सका। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सरयू मिश्रा ने करीब 48 फीसद वोट लाकर जीत हासिल की।

सोशलिस्ट पार्टी के लखन लाल 26 फीसद वोट के साथ दूसरे, बीजेएस के उम्मीदवार जय नंदन 13 फीसद वोट हासिल कर तीसरे तथा रेणु 10 फीसद वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे थे। यहां सरयू मिश्रा को 29750, लखन लाल कपूर को 16666 और रेणु को 6498 वोट मिलें थे।
लोकनायक जय प्रकाश के साथ रहा मधुर संबंध

रेणु राजनीति को गलत नहीं मानते थे। वे इसे समाज की भलाई के लिए जरिया बनाने की बात करते थे। सक्रिय राजनीति से दूर रहकर भी वे तमाम आंदोलनों में साथ देते रहे। लोकनायक जय प्रकाश नारायण के साथ उनका मधुर संबंध रहा। जेपी आंदोलन में भी उनकी भूमिका अहम रही। चुनावी राजनीति से अलग रहने के बाद भी वे सामाजिक आंदोलनों में सक्रिए रहे।
रेणु का चुनावी नारा हुआ था लोकप्रिय

चुनाव में रेणु ने अपने चुनाव चिह्न नाव पर एक नारा दिया था, जो लोगों के बीच काफी लोकप्रिय रहा। नारा था कह दो गांव-गांव में, अबकी इस चुनाव में वोट देंगे नाव में। उनकी चुनावी सभाओं में रामधारी सिंह दिनकर, हीरानंद वात्स्ययायान, सुमित्रा नंदन पंत, रघुवीर सहाय जैसे शीर्ष के साहित्यकार शामिल होते थे।
您需要登录后才可以回帖 登录 | 立即注册

本版积分规则

Archiver|手机版|小黑屋|usdt交易

GMT+8, 2025-11-25 22:19 , Processed in 0.192705 second(s), 24 queries .

Powered by usdt cosino! X3.5

© 2001-2025 Bitcoin Casino

快速回复 返回顶部 返回列表