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क्या आपका बच्चा भी खाता है बिस्किट? तो हो जाएं सावधान (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आजकल हर घर में बिस्किट बच्चों का \“फेवरेट स्नैक\“ बन चुका है। खेलने के बाद भूख लगे तो बिस्किट, स्कूल के टिफिन में कुछ चाहिए तो बिस्किट, बाहर घूमने जाएं तो भी वही... लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये बिस्किट असल में बच्चों के शरीर के साथ क्या कर रहे हैं (Why Are Biscuits Bad For Children)? आइए, डॉ. रवि मलिक (वरिष्ठ सलाहकार बाल रोग विशेषज्ञ, चेयरमैन, रेडिक्स हेल्थकेयर, निर्माण विहार, दिल्ली) से जानते हैं इस बारे में। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पोषण नहीं परोस रहे बिस्किट
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अपने ऑफिशियल इंस्टाग्राम पर एक वीडियो के जरिए डॉ. रवि मलिक ने बताया कि बिस्किट देखने में भले ही गिल्ट-फ्री लगें, लेकिन असल में ये शुगर से भरे होते हैं। इनमें न तो कोई फाइबर होता है, न विटामिन, न मिनरल्स। ज्यादातर बिस्किट सिर्फ शुगर, रिफाइंड आटा, अनहेल्दी फैट और हिडेन सॉल्ट से बने होते हैं। मतलब, शरीर को पोषण देने के बजाय ये उसे नुकसान ही पहुंचाते हैं।
क्यों बच्चे बन जाते हैं बिस्किट के दीवाने?
बिस्किट में मौजूद चीनी और आर्टिफिशियल फ्लेवर बच्चे की जीभ को \“मीठेपन\“ का आदी बना देते हैं। इसका नतीजा ये होता है कि बच्चा सब्जियां, फल या घर का सादा खाना पसंद ही नहीं करता। धीरे-धीरे उसकी स्वाद ग्रंथियां सिर्फ मीठे या नमकीन बिस्किट पर ही टिक जाती हैं। यह एक तरह की फूड एडिक्शन बन जाती है।
बार-बार बिस्किट खाने से क्या नुकसान होते हैं?
- वजन बढ़ना: रोजाना बिस्किट देने से बच्चों में मोटापा बढ़ सकता है।
- दांतों की सड़न: इनमें मौजूद चीनी दांतों को कमजोर बनाती है और कैविटी का कारण बनती है।
- एनर्जी तो मिलती है, पोषण नहीं: बिस्किट इंस्टेंट एनर्जी तो देते हैं, लेकिन यह एनर्जी थोड़ी देर की होती है। बच्चा जल्दी थक जाता है और सुस्ती महसूस करता है।
- हॉर्मोनल असंतुलन: ज्यादा चीनी बच्चों के मेटाबॉलिज्म और हॉर्मोन संतुलन पर असर डाल सकती है।
बिस्किट की जगह क्या दें?
अगर आपको लगता है कि बिस्किट के अलावा बच्चे को कुछ पसंद नहीं आएगा, तो यह सोच बदलने का समय है। डॉक्टर ने बच्चों को देने के लिए कुछ हेल्दी ऑप्शन्स भी बताए हैं, जो टेस्टी भी हैं और न्यूट्रिशन से भरपूर भी।
- फ्रूट प्यूरी या मैश किए हुए फल: जैसे सेब या केला, जो बच्चे आसानी से खा सकते हैं।
- मिल्कशेक या फ्रूट पंच: बिना चीनी के तैयार करें, तो यह बच्चों के लिए बेहतरीन ड्रिंक है।
- भुने हुए मखाने या नट्स: कैल्शियम और प्रोटीन से भरपूर स्नैक।
- घी लगी ब्रेड या दलिया: छोटे बच्चों के लिए सादा और पचने में ईजी ऑप्शन।
- सॉफ्ट पकाई हुई सब्जियां: रंगीन सब्जियां बच्चों को अट्रैक्ट करती हैं और स्वाद भी बढ़ाती हैं।
छोटे बच्चों को क्यों न दें चीनी?
एक्सपर्ट मानते हैं कि 2 साल से छोटे बच्चों को चीनी नहीं देनी चाहिए। इस उम्र में उनका शरीर अभी विकसित हो रहा होता है और चीनी उनकी स्वाद की आदत को हमेशा के लिए बदल सकती है। बेहतर है कि बच्चों को नेचुरल मिठास जैसे कि फलों से परिचित कराया जाए।
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