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पाकिस्तान ने IMF को भी नहीं छोड़ा! आर्थिक तंगी मिटाने को लिया था कर्ज और अब इस काम के लिए कर रहा खर्च

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发表于 2025-10-28 18:19:27 | 显示全部楼层 |阅读模式
  IMF से पैसा पाते ही अमेरिका से हथियार खरीदने दौड़ा पाकिस्तान। (फाइल फोटो)





जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। मंगलवार (7 अक्टूबर) को अमेरिकी सरकार ने पाकिस्तान को 2.5 अरब डॉलर मूल्य के एयर-टू-एयर मिसाइल सिस्टम (एआइएम-120 एएमआरएएएम) खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

भारी आर्थिक बदहाली से गुजर रहा पाकिस्तान इस मिसाइल सिस्टम को खरीदने का फैसला अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) से मई, 2025 में मिली एक अरब डॉलर की मदद के कुछ ही महीने बाद किया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें


IMF की फंडिंग से हथियार खरीदता है पाकिस्तान

इसके साथ ही भारत की तरफ से पूर्व में जताई गई इस आशंका को बल मिला है कि जब भी पाकिस्तान को आइएमएफ से बेल-आउट पैकेज दी जाती तो वह इसका इस्तेमाल हथियार खरीदने में करता है। वैसे अगर आइएमएफ की शर्तों की बात करें तो पाकिस्तान सीधे तौर पर उससे मिली आर्थिक मदद से रक्षा उपकरण नहीं खरीद सकता लेकिन पुराने रिकार्ड कुछ और ही संकेत देते हैं।



आइएमएस से मिले बेल आउट पैकेज के तहत निर्धारित राशि पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक को हस्तांतरित की जाती है। आईएमएफ स्पष्ट रूप से कहता है कि इसे उसकी तरफ से जिन उद्देश्यों के लिए कर्ज दिया गया है, उसके अलावा और कहीं इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
नई शर्तों के साथ पाकिस्तान को IMF से मिला पैसा

मई में जो किस्त आईएमएफ ने दी है उसके लिए 11 नई शर्तें लगाई गई हैं। हालांकि इस फंड के अप्रत्यक्ष उपयोग की आशंका हमेशा रहती है और भारत की तरफ से इस बारे में पूर्व में चिंता भी जताई गई है। पूर्व के रिकार्ड बताते हैं कि जब भी पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से बेलआउट पैकेज मिलता है तो उसका रक्षा बजट बढ़ जाता है।


24 बार पाकिस्तान ने IMF से मांगी मदद

पाकिस्तान का रक्षा बजट सामान्यतः कुल बजट का 18 फीसद है जो संघर्ष प्रभावित देशों के औसत 10-14 फीसद से अधिक है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीपरी) का डाटा बताता है कि वर्ष 1980-2023 के बीच जब भी पाकिस्तान को आइएमएफ से आर्थिक मदद दी गई है तब उसका हथियार आयात 20 फीसद तक बढ़ गया है। वर्ष 1958 के बाद से अभी तक पाकिस्तान कुल 24 बार आर्थिक मदद के लिए आइएमएफ पहुंच चुका है।


पाकिस्तान और अमेरिका के सुधर रहे संबंध

कूटनीतिक जानकार एआइएम-120 एएमआरएएएम की खरीद को पाकिस्तान और अमेरिका के बीच सुधर रहे संबंधों से जोड़ कर देख रहे हैं। देश के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिबल का कहना है कि, “अमेरिका फिर से भारत के खिलाफ पाकिस्तान को हथियार दे रहा है।

पाकिस्तान का आईएमएफ बेलआउट प्रोग्राम बढ़ते रक्षा खर्च के साथ जुड़ा नहीं होना चाहिए। ट्रंप को पाकिस्तान जिस तरह से लुभाने की कोशिश कर रहा है, उसे देखते हुए इसकी उम्मीद थी।” सिब्बल उक्त एयर टू एयर मिसाइल सिस्टम क निर्माण करने वाली कंपनी रेथियॉन की मंशा पर सवाल उठाते हैं क्योंकि यह कंपनी भारत के साथ भी रक्षा सौदे के लिए बात कर रही है।



सिबल करते हैं, “रेथियॉन को यह तय करना चाहिए कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान को ये उन्नत मिसाइलें देना भारत के साथ उसके प्रोजेक्ट्स की मदद करता है या नहीं।” वैसे एएमआरएएएम मिसाइल सिस्टम को अभी काफी उन्नत माना जा रहा है। यह हवा में 20 से 160 किलोमीटर की दूरी पर उड़ान भरने वाले किसी भी वस्तु पर सटीक निशाना बना सकता है।

यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद कई यूरोपीय देश और एशियाई देश इसके लिए आर्डर दे रहे हैं। पाकिस्तान अगर इसे खरीदता है तो इसे एफ-16 युद्धक विमानों में इस्तेमाल कर सकता है। आपरेशन सिंदूर में भारतीय वायु सेना ने जिस तरह से पाकिस्तान को नुकसान पहुंचाया है उसे देखते हुए वह इस तरह की रक्षा प्रणाली को खरीदने की कोशिश कर रहा है।



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