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KPDCL के अधिकारी धन की कमी को मरम्मत में देरी का कारण बता रहे हैं।
जागरण संवाददाता, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के उत्तरी कश्मीर में कुपवाड़ा जिले के जुमागुंड गांव में बिजली की कमी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। गांव के लोग बीते दो साल से अंधेरे में जीने को मजबूर हैं। संबंधित विभाग द्वारा खराब पड़ी बिजली ट्रांसमिशन लाइनों की मरम्मत न करने के कारण ग्रामीणों को यह समस्या का सामना करना पड़ रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
गांव में जनसेट लगाए गए, लेकिन ईंधन की कमी के कारण बेकार
गांव में विल्कप के तौर पर जनसेट भी लगाए गए हैं, लेकिन ईंधन की कमी के कारण ये जनरेटर भी इस्तेमाल नहीं हो पा रहे हैं। यह संकट 2023 की सर्दियों में हुई भारी बर्फबारी के बाद शुरू हुआ, जिससे गांव की ट्रांसमिशन लाइनें क्षतिग्रस्त हो गईं और घर पूरी तरह से अंधेरे में डूब गए।
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ग्रामीणों की पीड़ा
जुमागुंड के पूर्व सरपंच मोहम्मद सिद्दीक ने कहा, “हम बिजली की कमी से जूझ रहे हैं, लेकिन हमारी समस्या को कम करने के लिए कुछ नहीं किया गया है। ऐसा लगता है जैसे हम प्राचीन काल में रह रहे हैं। शाम होते ही हमें पारंपरिक तरीकों से अपने घरों को रोशन करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।“
सरकार पर उदासीनता का आरोप
गांव की दुर्दशा दूरदराज के इलाकों को सरकार नजर अंदाज कर रही है । गांव में हर शाम कुछ घंटे बिजली उपलब्ध कराने के लिए दो बड़े जनरेटर लगाए गए थे। हालांकि, उनका कभी इस्तेमाल नहीं हुआ। निवासियों ने कहा, “जब जनरेटर उपलब्ध कराए गए थे, तो हमें ट्रांसमिशन लाइनों की मरम्मत होने तक रोज़ाना तीन घंटे बिजली देने का वादा किया गया था। लगभग दो साल बीत चुके हैं, लेकिन स्थानीय अधिकारियों ने ईंधन की कमी का हवाला देते हुए जनरेटर का इस्तेमाल नहीं किया है।“
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अधिकारियों की प्रतिक्रिया
त्रेहगाम स्थित कश्मीर पावर डिस्ट्रीब्यूशन कारपोरेशन लिमिटेड (KPDCL) के सहायक कार्यकारी अभियंता मोहम्मद शफी ने पुष्टि की है कि पुता खान गली से जुमागुंड तक दस किलोमीटर लंबी ट्रांसमिशन लाइन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है। उन्होंने कहा, “हमने ट्रांसमिशन लाइन की मरम्मत के लिए उच्च अधिकारियों को एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) सौंप दी है। जब उनसे पूछा गया कि मरम्मत कार्य क्यों नहीं कराया गया तो शफी ने कहा कि लंबे विलंब का कारण धन की अनुपलब्धता है। |
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