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गयाजी में कांग्रेस के टिकट वितरण से पहले ही मचा घमासान, तीन सीटों पर दावेदारों की लंबी कतार, बगावत की आहट तेज

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发表于 2025-10-28 18:16:03 | 显示全部楼层 |阅读模式
  कांग्रेस के भीतर टिकट को लेकर टक्कर





सुभाष कुमार, गयाजी। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए नोटिफिकेशन बस जारी ही होने वाला है और इससे पहले गयाजी जिले में कांग्रेस के भीतर टिकट को लेकर जबरदस्त सियासी हलचल मच गई है। जिले की 10 विधानसभा सीटों में से तीन गयाजी शहरी, वजीरगंज और टिकारी पर महागठबंधन की ओर से कांग्रेस चुनाव लड़ती रही है। पिछले चुनाव 2020 में इन तीनों सीटों पर पार्टी को हार मिली थी, इसलिए इस बार टिकट वितरण में कांग्रेस कोई ढिलाई या जोखिम नहीं लेना चाहती। अब हालत ये है कि टिकट की होड़ में दावेदारों की फौज उतर आई है और पार्टी दफ्तर रणक्षेत्र लगता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें


गयाजी शहरी से 30 दावेदार, तनाव चरम पर

गयाजी शहरी सीट कांग्रेस के लिए सबसे प्रतिष्ठित और चुनौतीपूर्ण मानी जाती है, जहां से भाजपा नेता डा. प्रेम कुमार लगातार जीत रहे हैं। यहां लगभग 30 दावेदारों ने बायोडाटा और टिकट की पर्ची जमा की है। पुराने चेहरे फिर से मैदान में उतरना चाहते हैं तो नए चेहरे अपनी पकड़ और जातीय संतुलन का हवाला देकर टिकट मांग रहे हैं। कई नामों पर चर्चा ने बाकी दावेदारों को असहज कर दिया है। कांग्रेस दफ्तर में रोजाना समर्थकों की आवाजाही और भीतरखाने लाबिंग तेज है।


वजीरगंज में दर्जन भर नाम, समीकरण उलझे

वजीरगंज सीट पर करीब एक दर्जन दावेदार लाइन में हैं। यहां भाजपा ने पिछली बार मजबूत जीत दर्ज की थी और कांग्रेस को अपनी जमीन खोनी पड़ी थी। इस बार पार्टी जातीय गणित, संगठनिक पकड़ और स्थानीय प्रभाव को आधार बनाकर विकल्प तलाश रही है। टिकट की दौड़ में दो-तीन नाम सबसे आगे बताए जा रहे हैं, जिससे शेष दावेदारों में बेचैनी है।
टिकारी में सबसे बड़ा टिकट युद्ध, सौ के करीब दावेदार

टिकारी विधानसभा सीट कांग्रेस के लिए इस चुनाव में सियासी रणभूमि बन चुकी है। यहां करीब 100 लोगों ने दावेदारी पेश की है। पार्टी कार्यालय में बायोडाटा जमा करने वालों में शिक्षक, व्यवसायी, पूर्व प्रत्याशी, समाजसेवी और युवा नेता शामिल हैं। सोशल मीडिया से लेकर जमीनी प्रचार तक, टिकट की तलाश में कई चेहरे पहले ही सक्रिय हो गए हैं।


टिकट से पहले ही बगावत का संकेत

सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने तीनों सीटों के संभावित चेहरों की आंतरिक सूची तैयार कर ली है। संभावित नामों की चर्चा ने अन्य दावेदारों में हलचल तेज कर दी है। कई दावेदारों ने संकेत दिया है कि अगर टिकट नहीं मिला तो वे निर्दलीय उतर सकते हैं या जन सुराज पार्टी जैसे विकल्पों का रुख कर सकते हैं।
कांग्रेस की रणनीति: हारने वालों पर भरोसा नहीं

पिछली हार को देखते हुए पार्टी अब नए और जीतने वाले चेहरों की तलाश में है। स्क्रीनिंग कमेटी जातीय बैलेंस, संसाधन क्षमता, संगठनिक पकड़ और जीत की संभावना को प्राथमिक मानदंड बना रही है। पुराने प्रत्याशियों पर दोबारा भरोसा करने की संभावना बेहद कम मानी जा रही है।



5-6 अक्टूबर तक अपेक्षित चुनावी अधिसूचना से पहले ही कांग्रेस में घमासान अपने चरम पर है। टिकट का ऐलान हुआ तो कई चेहरे मुस्कुराएंगे और कई के सपने टूटेंगे। कांग्रेस समर्थकों की नजर अब इसी पर टिकी है कि चुनावी महासमर में पार्टी की पहली पंक्ति में कौन-कौन उतरेंगे।
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