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Sandhi Puja 2025 Date: कब है संधि पूजा? यहां नोट करें शुभ मुहूर्त और महत्व

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发表于 2025-10-28 18:04:47 | 显示全部楼层 |阅读模式
  Sandhi Puja 2025 Date: संधि पूजा का धार्मिक महत्व





दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। दुर्गा पूजा का हर दिन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, लेकिन अष्टमी और नवमी के संधिकाल में होने वाली संधि पूजा को सबसे पवित्र क्षण माना जाता है। यह वह समय है जब मां दुर्गा अपने दिव्य चामुंडा स्वरूप में प्रकट होकर असुरों का संहार करती हैं और धर्म की रक्षा करती हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  



परंपरा है कि इस संधि काल में किए गए जप, पूजा और अर्पण तुरंत फलदायी होते हैं। दीपों की ज्योति और कमल पुष्पों की सुगंध से सजी संधि पूजा, शक्ति की उपासना का चरम रूप है, जो भक्तों को यह विश्वास दिलाती है कि अंधकार पर हमेशा प्रकाश और अन्याय पर हमेशा धर्म की विजय होती है।
संधि पूजा का धार्मिक महत्व

संधि पूजा दुर्गा पूजा का सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है। यह विशेष पूजा उस समय की जाती है जब अष्टमी तिथि समाप्त होकर नवमी तिथि का प्रारंभ होता है। इस संधिकाल को अत्यंत शक्तिशाली और देवी मां के विशेष कृपा-क्षण का समय माना जाता है।



धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी संधि काल में मां दुर्गा ने महिषासुर के दो सेनापतियों चंड और मुण्ड का वध किया और चामुंडा स्वरूप धारण किया था। इसलिए इस समय की पूजा को संधि पूजा कहा जाता है।

इस अनुष्ठान में 108 दीपक और 108 कमल पुष्प अर्पित करने की परंपरा है। ऐसा करने से मां का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। संधि पूजा को शक्ति की उपासना का चरम क्षण माना गया है, जब भक्तों की प्रार्थनाएं और साधनाएं शीघ्र फलदायी होती हैं।



इस प्रकार, संधि पूजा केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि मां दुर्गा के अद्भुत पराक्रम और उनके रक्षक स्वरूप की स्मृति है। यह हमें संदेश देती है कि अंधकार और अन्याय पर अंततः धर्म और प्रकाश की ही विजय होती है।
दुर्गा पूजा 2025 की प्रमुख तिथिया-

षष्ठी पूजा- 28 सितंबर, रविवार

इस दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी। सुबह 06:08 से 10:30 बजे तक मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त रहेगा। इस दिन बिल्व निमंत्रण और पंडाल सजाने की परंपरा भी निभाई जाती है।


संधि पूजा- 30 सितंबर, मंगलवार (Sandhi Puja 2025 Date)

अष्टमी और नवमी के संधिकाल में, सांय 07:36 से 08:24 बजे तक, मां दुर्गा के चामुंडा रूप की पूजा होगी। इस समय 108 दीपक और 108 कमल पुष्प अर्पित करने का विशेष महत्व है।

यह भी पढ़ें- Shardiya Navratri की अष्टमी और नवमी तिथि पर यहां जलाएं दीपक, मिलेगी देवी मां की कृपा



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लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।

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