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ओडिशा की सियासत में वापसी का रास्ता देख रही कांग्रेस, BJD के गिरते ग्राफ से जगी उम्मीद

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发表于 2025-10-28 18:00:38 | 显示全部楼层 |阅读模式
  बीजद से विपक्षी दल की केंद्रीय भूमिका छीनने की कोशिश में जुटी कांग्रेस (प्रतीकात्मक तस्वीर)





संजय मिश्र, जागरण। राज्यों में संगठन को दुरूस्त करने की कसरत में जुटी कांग्रेस को ओडिसा में बीजू जनता दल के गिरते ग्राफ के बीच भविष्य की सत्ता सियासत में वापसी का मौका नजर आ रहा है। पार्टी इसके मद्देनजर जहां ओडिशा में संगठन को धारदार बनाने के लिए व्यापक पुनर्गठन की अभियान शुरू कर चुकी है तो तो दूसरी ओर बीजद से विपक्षी दल की केंद्रीय भूमिका छीनने की कोशिश में जुटी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

ओडिशा की भाजपा सरकार की नीतियों तथा कानून व्यवस्था के खिलाफ जमीनी आंदोलनों के बाद विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की कांग्रेस की पहल इसी रणनीति का हिस्सा है। साथ ही कांग्रेस ऐसे तमाम राजनीतिक दांव चल रही जिससे भाजपा और बीजद को सियासी सिक्के का एक ही पहलू साबित करने का राज्य में नैरेटिव बनाया जा सके।


वेणुगोपाल ने पिछले हफ्ते ओडिशा का दौरा किया

कांग्रेस हाईकमान लगातार सीधे ओडिशा में संगठन सृजन से लेकर सियासी अभियानों के इन कदमों की सीधे समीक्षा कर रहा है। ओडिशा की सत्ता सियासत की होड़ में लौटने के कांग्रेस के प्रयासों की गंभीरता इससे भी समझी जा सकती है कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी की सूबे में यात्रा निकालने की रूपरेखा बनाई जा रही है। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पिछले हफ्ते ओडिशा का दौरा किया और सोमवार को दिल्ली में संगठन सृजन के लिए भेजे गए केंद्रीय पर्यवेक्षकों से चर्चा कर सूबे में पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में जान फूंकने की हाईकमान की तत्परता का संदेश दिया।



प्रदेश में भाजपा की मोहन मांझी सरकार के खिलाफ कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव सोमवार को खारिज होने के बाद \“भाजपा और बीजद भाई-भाई\“ के नारे के साथ पार्टी ने अपने आक्रामक तेवरों में और इजाफा करने के इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। अविश्वास प्रस्ताव के इस दांव से पहले इसी महीने हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में बीजद के \“तटस्थ\“ रहते हुए वोटिंग में हिस्सा नहीं लेने के बाद कांग्रेस को राज्य में विपक्ष की मुख्य भूमिका में लौटने की संभावनाएं नजर आ रही हैं।Sharad Pawar,Rahul Gandhi,Vote theft,Election Commission of India,BJP response,Public distrust,Chief Election Commissioner,Lok Sabha elections,Maharashtra politics,Opposition leader


नवीन पटनायक का खराब स्वास्थ्य चुनौती

बीजद की चुनौती यह भी है कि उसके प्रमुख पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक खराब स्वास्थ्य की वजह से सक्रिय नहीं हैं और पार्टी अपनी राजनीतिक भूमिका तथा दिशा को लेकर दुविधा में है। सूबे में भाजपा सरकार के खिलाफ बीते सवा साल में मुख्य विपक्षी दल होने के बावजूद बीजद की सक्रियता नगण्य रही है। इसीलिए उपराष्ट्रपति चुनाव में बीजद ने तटस्थता दिखाई तो कांग्रेस ने इसे भाजपा के समर्थन के रूप में ही पेश करने के बाद पिछले हफ्ते विधानसभा में मांझी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया। साथ ही कांग्रेस के सभी 14 विधायक नवीन पटनायक के दफ्तर में समर्थन मांगने पहुंच गए मगर वे नहीं मिले।



साफ है कि कांग्रेस की रणनीति मुख्य विपक्षी दल बीजद को असहज करने की है जिसके 50 विधायक हैं पर वह विपक्ष के तेवर नहीं दिखा पा रही। कांग्रेस ने भक्त चरण दास को पिछले साल चुनाव में हार के बाद ओडि़सा प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया और अब राज्य के सभी जिलों के अध्यक्षों की सीधी नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। केसी वेणुगोपाल पिछले हफ्ते संगठन को दुरूस्त करने की इस कसरत का जायजा लेने ही ओडि़सा गए थे तो सोमवार को दिल्ली में बैठकों का दौर किया। बैठकों के बाद वेणुगोपाल ने एक्स पर पोस्ट में कहा भी कि जिला और जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत कर राज्य में निर्णायक भूमिका निभाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।



यह भी पढ़ें- ओडिशा विधानसभा में चौथे दिन भी हंगामा, विधानसभा अध्यक्ष ने की कार्यवाही स्थगित

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