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बल्केश्वर स्थित आईटीआई में सोमवार को लगा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय शिक्षुता मेला
सुमित द्विवेदी, आगरा। दो साल आईटीआई में फिटर और टर्नर की पढ़ाई करने वाले छात्र जब नौकरी के लिए इंटरव्यू में बैठे तो डीजल मैकेनिक की सात बुनियादी बातें तक नहीं बता सके। अंग्रेजी में अपना नाम और डिटेल भरने में हाथ कांपे और खुद का इंट्रोडक्शन देने में चेहरा लाल हो गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यह स्थिति बल्केश्वर स्थित राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) में सोमवार को आयोजित प्रधानमंत्री राष्ट्रीय शिक्षुता मेले की रही। जहां रोजगार की उम्मीद लेकर युवा तो पहुंचे लेकिन उनकी तैयारी की कमी के कारण उन्हें निराश होना पड़ा।
बल्केश्वर स्थित आईटीआई में सोमवार को लगा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय शिक्षुता मेला
मेला सुबह 10 बजे से शुरू हुआ, जहां आईटीआई पासआउट छात्रों के अलावा 10वीं और 12वीं पास युवा भी अप्रेंटिसशिप के लिए पहुंचे। मेले में बेनारा उद्योग, आगरा चैन प्राइवेट लिमिटेड, आइटीसी, न्यू हालैंड और ग्रोफास्ट प्लांटटेक कंपनी पहुंची। चयन लिखित परीक्षा व साक्षात्कार के जरिए हुआ।
मेले में 29 का चयन
मेले में फिटर, टर्नर, कोपा (कंप्यूटर आपरेटर एंड प्रोग्रामिंग असिस्टेंट), वेल्डर और इलेक्ट्रिकल ट्रेड से कुल 100 छात्र थे, जिनमें से 57 ने हिस्सा लिया और मात्र 29 का चयन हुआ। न्यू हालैंड कंपनी में फिटर, डीजल मैकेनिक और ट्रैक्टर मैकेनिक के लिए आवेदन करने वाले छात्रों से जब एचआर ने डीजल मैकेनिक की सात मुख्य बातें पूछीं, जैसे इंजन के पार्ट्स, फ्यूल सिस्टम या ट्रबलशूटिंग तो ज्यादातर चुप हो गए।
अंग्रेजी में फॉर्म भरने में गलतियां
अंग्रेजी में फार्म भरने में गलतियां कीं, और बातचीत में खुद का इंट्रोडक्शन तक ठीक से नहीं दे सके। इसी तरह, आगरा चैन प्राइवेट लिमिटेड में टर्नर, फिटर, मशीनिस्ट और कोपा ट्रेड के छात्रों को कुछ चित्र दिखाकर फिटिंग की जानकारी मांगी गई, लेकिन वे नहीं बता सके। इससे स्पष्ट होता है कि आईटीआई की ट्रेनिंग में प्रैक्टिकल स्किल्स और कम्युनिकेशन पर छात्र अधिक ध्यान नहीं दे रहे हैं।
पुरानी मशीनरी और अपडेटेड सिलेबस से पिछड़ रहे छात्र
फिटर और टर्नर जैसे इंजीनियरिंग ट्रेड्स आमतौर पर दो साल के होते हैं, जहां छात्र मशीनरी, टूल्स और मेंटेनेंस सीखते हैं। कोपा और वेल्डर जैसे ट्रेड एक साल के हैं, जो कंप्यूटर स्किल्स या वेल्डिंग टेक्नीक्स पर केंद्रित होते हैं। इलेक्ट्रिकल ट्रेड भी दो साल का है, जिसमें वायरिंग, सर्किट्स और सेफ्टी नार्म्स पढ़ाए जाते हैं। ये कोर्स 10वीं पास के बाद किए जा सकते हैं। यहां समस्या है कई आइटीआइ संस्थानों में पुरानी मशीनरी और अपडेटेड सिलेबस की कमी होती है, जिससे छात्र इंडस्ट्री की डिमांड से पिछड़ जाते हैं।
इसलिए हो रहीं गलतियां
आईटीआई के एक शिक्षक ने बताया छात्राें में कमी का मुख्य कारण ट्रेनिंग में प्रैक्टिकल एक्सपोजर की कमी है। छात्र किताबी ज्ञान तो हासिल कर लेते हैं, लेकिन रियल-टाइम प्राब्लम साल्विंग नहीं सीखते। इसके अलावा, साफ्ट स्किल्स जैसे इंग्लिश कम्युनिकेशन, कान्फिडेंस और इंटरव्यू प्रिपरेशन पर ध्यान नहीं देते।
ऐसे बढ़ेगा रोजगार प्रतिशत
आईटीआई में आकड़ों के अनुसार वर्तमान में आईटीआई से रोजगार दर करीब 63.5 प्रतिशत है, लेकिन इसे बढ़ाने के लिए अप्रेंटिसशिप को बढ़ावा देना जरूरी है। फिलहाल सिर्फ 30 प्रतिशत छात्र अप्रेंटिसशिप करते हैं। साफ्ट स्किल्स को सिलेबस में अनिवार्य करना होगा।
छात्रों में प्रतिभा की कमी नहीं, लेकिन इंडस्ट्री की बदलती जरूरतों से तालमेल बनाने में चुनौती है। हम नई योजना के तहत साफ्ट स्किल्स और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग पर फोकस करेंगे। - प्रो. मानसिंह भारती, प्रिंसिपल व नोडल अधिकारी, आगरा |
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