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दवाओं को लेकर रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में दुनियाभर में हर छह में से एक जीवाणु संक्रमण में एंटीबायोटिक उपचार का असर नहीं हो रहा है। इसका मतलब है कि हर छठे मरीज पर एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर हो रही हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
रिपोर्ट में बताया गया है कि मूत्र मार्ग और रक्त प्रवाह में संक्रमण पैदा करने वाले जीवाणुओं में एंटीबायोटिक प्रतिरोध सबसे अधिक देखा गया है, जबकि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और यूरो-जेनिटल गोनोरिया इंफेक्शन पैदा करने वाले जीवाणुओं में प्रतिरोध दर कम देखी गई।
विशेषज्ञों ने किया आगाह
विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि अगर अभी सख्त कदम न उठाए गए तो आने वाले वर्षों में यह समस्या गंभीर रूप ले सकती है। \“ग्लोबल एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस सर्विलांस रिपोर्ट 2025\“ के लेखकों का कहना है कि डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया (जिसमें भारत भी शामिल है) और पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में सबसे अधिक प्रतिरोध दर (लगभग हर तीन में से एक संक्रमण) देखी गई। इसके बाद अफ्रीकी क्षेत्रों (पांच में से एक संक्रमण) का स्थान है, जो सभी वैश्विक औसत से ऊपर हैं।
बार-बार एंटीबायोटिक दवाएं लेने से क्या होता है?
बार-बार एंटीबायोटिक दवाएं लेने से बैक्टीरिया इन दवाओं के प्रति प्रतिरक्षा विकसित कर सकते हैं। यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा है, क्योंकि इससे संक्रमण की स्थिति में रोगी पर एंटीबायोटिक दवाएं काम करना बंद कर सकती हैं और अस्पताल में रहने की अवधि बढ़ सकती है। इससे संभावित रूप से इलाज का खर्च और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे पर बोझ बढ़ सकता है।
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