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Jharkhand News: सहायक आचार्य नियुक्ति मामले में आया अपडेट, जेएसएससी पर नहीं होगी पीड़क कार्रवाई

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发表于 2025-10-28 18:31:14 | 显示全部楼层 |阅读模式
  



राज्य ब्यूरो, रांची । झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में सहायक आचार्य नियुक्ति (कक्षा छह से आठ) परीक्षा में दो वर्षीय बीएड कोर्स से संबंधित मामले में एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दाखिल अपील पर सुनवाई हुई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सुनवाई के बाद अदालत ने एकल पीठ में चल रहे अवमानना मामले में जेएसएससी पर कोई पीड़क कार्रवाई  नहीं करने का आदेश दिया है। अदालत ने प्रार्थियों को आवेदन करने की तिथि से संबंधित जानकारी मांगी है।
आयोग ने कहा- विज्ञापन में ही रखी गई थी एक वर्ष के बीएड की शैक्षणिक योग्यता

मामले की अगली सुनवाई तीन नवंबर को होगी। एकल पीठ के आदेश के खिलाफ जेएसएससी की ओर से खंडपीठ में अपील दाखिल की गई है। सुनवाई के दौरान आयोग की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह ने अदालत को बताया गया कि सहायक आचार्य नियुक्ति के विज्ञापन में ही एक वर्ष के बीएड की शैक्षणिक योग्यता रखी गई थी।

ऐसे में दो वर्षीय बीएड की योग्यता रखने वालों को चयन प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है। अगर प्रार्थियों को इस शर्त से परेशानी थी तो उन्हें पहले ही विज्ञापन को चुनौती देनी चाहिए थी।

अब जब प्रमाणपत्रों का सत्यापन चल रहा है तो उनकी ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। यह भी बताया गया  कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद इस नियुक्ति में सीटेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को शामिल किया गया।

इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कई थी। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विज्ञापन के बीच में संशोधन नहीं किया जा सकता है। ऐसे में एकल पीठ का आदेश उचित नहीं है।

दो साल बीएड मामले में विप्लव दत्ता सहित अन्य की ओर से एकल पीठ में याचिका दाखिल की गई थी। सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अदालत को बताया कि वर्ष 2014 में एनसीटीई की ओर से रेगुलेशन जारी किया गया था।

इसमें कहा गया था कि वर्ष 2014 के बाद बीएड का कोर्स दो वर्ष का होगा। इसके बाद एनसीटीई से संबद्ध देश की सभी संस्था, झारखंड के रांची विश्वविद्यालय सहित सभी विश्वविद्यालयों में बीएड की पढ़ाई दो साल की होती है।

ऐसे में आयोग की ओर से दो साल बीएड करने वाले अभ्यर्थियों को चयन से बाहर करना गलत है। एकलपीठ ने स्पष्ट किया कि दो वर्ष डिग्री धारी अभ्यर्थियों को न्यूनतम योग्यता की शर्त के आधार पर चयन प्रक्रिया से बाहर नहीं किया जा सकता है।

अदालत ने नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल सभी वैसे अभ्यर्थियों को चयन प्रक्रिया में शामिल करने का निर्देश दिया था, जिन्होंने दो वर्षीय बीएड का कोर्स किया है।
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