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डीएमएफटी फंड घोटाला संबंधी दाखिल हस्तक्षेप याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में डीएमएफटी फंड में अनियमितता की सीबीआइ जांच की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई।
इस दौरान अदालत ने शिकायतकर्ता की ओर से दाखिल हस्तक्षेप याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया। अदालत ने हस्तक्षेप याचिका में उठाए गए बिंदुओं पर सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया है।
बोकारो में हुई है डीएमएफटी फंड की लूट
अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी। इस संबंध में डा. राजकुमार ने हाई कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दाखिल की है। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अभय कुमार मिश्रा ने अदालत को बताया कि बोकारो में डीएमएफटी फंड की लूट हुई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बिना टेंडर और बिना काम के ही पैसे की निकासी कर ली गई है। वर्ष 2016 से लेकर अब तक 11 अरब रुपये की गड़बड़ी हुई है। डीएमएफटी फंड केंद्र सरकार की ओर से प्रदान किया जाता है।
उक्त राशि खनन क्षेत्र और वहां के लोगों के विकास पर खर्च किया जाना है। राज्य सरकार के अधिकारी और उपायुक्त की समिति पैसे खर्च करने की अनुशंसा करती है। लेकिन बोकारो में 80 प्रतिशत राशि बिना काम के ही हड़प ली गई है।
आरटीआइ से मांगी गई जानकारी में गड़बड़ी का पता चला
20 प्रतिशत काम किया गया है। उनकी ओर से यह भी कहा गया कि इस बारे में प्रार्थी ने आरटीआइ के जरिए जानकारी प्राप्त की है। सरकार की ओर से ही उपलब्ध कराए गए दस्तावेज से गड़बड़ी का पता चलता है।
कुछ दिनों पहले बोकारों में एक चौक पर तीन करोड़ रुपये का एक तड़ित चालक यंत्र लगाया जाना था। लेकिन इसकी राशि पहले ही निकाल ली गई। जब प्रार्थी की ओर से हाई कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दाखिल की गई है, तब जाकर तड़ित चालक यंत्र लगाया गया है।
ऐसे में इस मामले की जांच सीबीआइ से कराई जाए। इस दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि चौक पर तड़ित चालक यंत्र लगा दिया गया है। इसके बाद अदालत ने कहा कि सरकार हस्तक्षेप याचिका में उठाए गए मुद्दों के बारे में जवाब दाखिल करे।
अदालत ने प्रार्थी को भी इससे संबंधित दस्तावेज कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। बता दें कि डीएमएफटी फंड के दुरुपयोग की खबर मीडिया में प्रकाशित होने के बाद अदालत स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है। |
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