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सरकारी धन के लालच में चली थी ऐसी चाल, कोर्ट में मामला पड़ गया उल्टा; खुल गई पोल

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तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण



जागरण संवाददाता, संतकबीरनगर। सरकारी धन प्राप्त करने के लालच में महिला ने इंटरनेट मीडिया का सहारा लेकर झूठे तथ्यों के आधार पर एससी-एसटी का मुकदमा दर्ज कराया, जो उसे महंगा पड़ा। विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी भूपेंद्र राय की अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान इसे गलत पाया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

अदालत ने वादिनी, उसके पति और बेटे के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश बखिरा पुलिस को दिया है। बखिरा थाना क्षेत्र के नावध गांव की निवासी उर्मिला ने न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने उल्लेख किया कि उनके भतीजे धीरज की मृत्यु हो गई है और पूरा परिवार शोक में है।

उर्मिला ने कहा कि 25 मार्च 2024 को दोपहर करीब 12 बजे डीजे बजाने को लेकर उनके पति ने मना किया। इसी दौरान, बेलहरकला थाना क्षेत्र के लालजोत गांव के इंद्रजीत यादव, हरगोविंद, कुलदीप और वीरेंद्र मौर्या ने जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया और उन्हें मारा-पीटा। आरोप है कि उनके मुंह में काला रंग पोत दिया गया और उन्हें निर्वस्त्र कर दिया गया।

उर्मिला ने इस मामले की शिकायत थाने में की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। सीओ और एसपी से शिकायत करने के बाद भी दोषियों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया, जिसके कारण उन्हें न्यायालय का सहारा लेना पड़ा। अदालत के आदेश पर आरोपितों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।

हालांकि, विवेचना के दौरान यह मामला झूठा पाया गया। अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिस पर वादिनी ने आपत्ति की। सुनवाई के दौरान, उर्मिला के पति सुखराज और बेटे संजय ने घटना का समर्थन किया। आरोपितों के खिलाफ नोटिस भेजे जाने पर आपत्ति दाखिल की गई।

विवेचक को दिए गए बयान में सहसराव गांव के निवासी सुक्खू ने शपथ पत्र देते हुए कहा कि उनके सगे भाई रामानंद 20 वर्षों से गुजरात में रहते हैं। उन्होंने बताया कि धीरज की मृत्यु 21 मार्च 2024 को नवसारी, गुजरात में हुई और उसका दाह संस्कार भी वहीं किया गया। होली के दिन नावध गांव में डीजे और नाच-गाने को लेकर विवाद हुआ था।

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सुक्खू ने यह भी कहा कि उर्मिला ने मृतक धीरज को अपना भतीजा बताकर और इंटरनेट मीडिया से फोटो निकालकर न्यायालय को गुमराह किया है। उन्होंने यह आरोप लगाया कि उर्मिला सरकारी धन पाने के लालच में ऐसा कर रही हैं।

कोर्ट ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, वे आश्चर्यजनक हैं और समाज में गिरती नैतिकता को दर्शाते हैं। झूठे साक्ष्य बनाने और पुलिस को गुमराह करने के लिए इस महिला, उसके पति और बेटे के खिलाफ सुसंगत धाराओं में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश थानाध्यक्ष बखिरा को दिया गया है।
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