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Bihar Politics: धड़ाधड़ टिकट बांट रहे लालू यादव, ऐन मौके पर तेजस्वी को उठान पड़ा ये कदम

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राज्य ब्यूरो, पटना। राजद के अघोषित प्रत्याशियों को सुप्रीमो लालू प्रसाद ताबड़तोड़ सिंबल दे रहे थे। दिल्ली से उदास मन लौटे तेजस्वी यादव के लिए यह स्थिति कुछ और परेशान करने वाली थी। कारण यह कि महागठबंधन में अभी सीटों का औपचारिक बंटवारा हुआ नहीं है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सहयोगी दलों, विशेषकर कांग्रेस, की नाराजगी का हवाला देते हुए उन्होंने पिता लालू प्रसाद से थोड़े और धैर्य का आग्रह किया। उसके बाद सिंबल देने पर तात्कालिक रूप से विराम लग गया है। हालांकि, सूत्र बता रहे कि इस विराम के बावजूद लालू रुकने-मानने वाले नहीं, क्योंकि अपने इसी तरीके से वे सहयोगियों से पार पाते रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि लालू लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पर ऐसे ही बीस पड़े थे। तब कांग्रेस मन मसोस कर रह गई थी। हालांकि, इस बार वह पहले से ही उनके कपटी तौर-तरीकों की काट सोच कर बैठी हुई है। तेजस्वी के हस्तक्षेप का असली कारण यही है।

वे जानते हैं कि दोस्ताना संघर्ष हो या अलग-अलग लड़ने की नौबत, इसमें अगर कांग्रेस पिटेगी तो राजद को भी औंधे मुंह खाना होगा। 2010 में दोनों ऐसा करके देख भी चुके हैं और इस बार कांग्रेस हर स्थिति के लिए तैयार बैठी है। महागठबंधन के दूसरे घटक दल विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और वाम दल भी मानने वाले नहीं।
कुछ सिंबल वापस लिए गए:

सोमवार शाम लालू दिल्ली से पटना लौटे थे। तब राबड़ी आवास के बाहर जबरदस्त गहमागहमी रही। वह सिंबल लेने आए लोगों के समर्थकों की भीड़ थी। रात में कुछ लोगों को लालू ने चुपके से सिंबल भी थमा दिया। मुस्कुराते हुए बाहर निकलने वाले वे लोग इंटरनेट मीडिया पर खुशखबरी साझा करने लगे। इसकी भनक लगते ही कांग्रेस के रणनीतिकारों ने तेजस्वी को चेताया। चर्चा है कि कुछ सिंबल वापस ले लिए गए हैं।
कहलगांव अब कांग्रेस को:

सूत्र बता रहे कि लालू जिनको सिंबल दे रहे थे, उन सीटों पर राजद की स्वाभाविक दावेदारी है। जैसे कि हिलसा, जहां राजद के अत्री मुनी उर्फ शक्ति सिंह यादव पिछली बार मात्र 12 मतों के अंतर से हार गए थे। हालांकि, अभी सीटों की अदला-बदली की भी बात चल रही। ऐसे में लालू द्वारा सिंबल बांटे जाने पर कांग्रेस ने आपत्ति दर्ज कराई।

कहलगांव का सिंबल देने के लिए झारखंड के मंत्री संजय यादव के पुत्र रजनीश को फोन घुमा दिया गया था, लेकिन कांग्रेस स्पष्ट कर चुकी है कि इस परंपरागत सीट को वह छोड़ने से रही। दिल्ली से लौटे तेजस्वी अब कांग्रेस के इस रुख से सहमत बताए जाते हैं।
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