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Bihar Politics: पति को पछाड़ने के लिए पत्नी ने झोंकी ताकत, बिहार की इस सीट पर रोचक है मुकाबला

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इस खबर में प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई है।



संजय कुमार उपाध्याय, मोतिहारी(पूर्वी चंपारण)। Bihar Assembly Election 2025: राजनीति में कूटनीति का प्रवाह ... जीत की चाह और इस राह के रोड़े ...!पूर्वी चंपारण में इस बार विधानसभा चुनाव में गठबंधन धर्म ... अंतर्कलह ... फिर शह-मात ... और अंत में साम, दाम व दंड भेद का खेल सबकुछ जन की खुली आंखें देख रहीं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इन सबके बीच छल-प्रपंच से निबटने की रणनीति संग रणभूमि में इस बार योद्धा अपनों के साथ वाला प्रेम युद्ध भी दिखा रहे। कहीं पति-पत्नी तो कहीं पिता-पुत्र के बीच जंग हो रही।

अब ये जंग मीठी है फिर तीखी ...! जो भी हो इस खेल को ये जो पब्लिक है, समझती है और दूर खड़े होकर द्रष्टा के रूप में देख रही है ...! राजनीति के जानकार कहते हैं- सबकुछ बुझने के बाद जन का मौन यह बता रहा निर्दलीय प्रत्याशियों ने किस तरह की छिपी चाल चली है।

मोतिहारी विधानसभा में आइएनडीआइए से राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी देवा गुप्ता ने राजद के सिंबल पर नामांकन किया है। उनकी पत्नी प्रीति कुमारी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं।

प्रीति मोतिहारी नगर निगम की महापौर हैं और उनके पति देवा गुप्ता राजद के प्रत्याशी हैं। इसके बाद भी प्रीति के द्वारा पर्चा भरे जाने के बाद अटकलें तेज हैं।

स्थानीय लोग कहते हैं पति-पत्नी के बीच मधुर संबंध हैं तो फिर बगावत हो नहीं सकती। कहीं विषम परिस्थितियों को टालने की खातिर तो ये संघर्ष नहीं ...!

चिरैया में आइएनडीआइए से राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी पूर्व विधायक लक्ष्मीनारायण यादव ने पर्चा भरा है। यहां उनके पुत्र लालू प्रसाद यादव भी निर्दलीय प्रत्याशी हैं।

यानी यहां भी पिता-पुत्र लड़ेंगे ...! ये प्रेमयुद्ध कौन सा गुल खिलाएगा ये आनेवाला वक्त बताएगा। फिलहाल तो मोतिहारी और चिरैया का ये प्रेमयुद्ध चर्चा का केंद्र बना है।
चुनाव तक बनी रहेगी पहेली

राजनीति के जानकार बताते हैं - इस बार के चुनावी युद्ध में कूटनीति का बड़ा महत्व है। टिकट बंटवारे से लेकर चुनाव तक जिस तरीके की राजनीति के संकेत हैं वो ठीक उसी तरह से है, जैसे अचानक से कोई विषधर बिल से निकलता है और फिर सामनेवाले को सुला देता है।

ऐसे में चुनावी रणभूमि में उतरे योद्धाओं ने प्लान बी के तहत अपने स्वजनों को भी अपने सामने योद्धा के रूप में स्वीकार किया है। वहीं कई ने अपने साथी-संगी को अपने सामने रखा है।

इन सबके बीच जिले की बारह विधानसभा सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों के बीच छिपे अपनों के प्रेमयुद्ध को छोड़ दें तो कई निर्दलीय प्रत्याशियों पर उनके गठबंधन के नेताओं की नजर है।

मान-मन्नौवल का खेल चल रहा, हालांकि इसके नतीजे सामने आने शेष हैं। इस बीच यह भी एक सत्य है कि अपनों के बीच का प्रेम युद्ध तो सामने आ गया, लेकिन कुछ ऐसे साथी संगी भी यारों के सामने होते हैं, जो शुरू से अंत तक प्रेम युद्ध में लगे रहते हैं, लेकिन सामने नहीं आते और चुनाव तक ये अबूझ पहेली के रूप में खड़े रहते हैं।
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