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Aaj ka Panchang 17 October 2025: रमा एकादशी पर शिववास योग समेत बन रहे हैं कई अद्भुत संयोग, पढ़ें पंचांग

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Aaj ka Panchang 17 October 2025 पढ़ें आज का पंचांग।



आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। हिंदू धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित मानी गई है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पर विशेष विधि-विधान से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। ऐसे में चलिए आज के पंचांग से जानते हैं शुभ-अशुभ योग के विषय में। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
आज कापंचांग (Panchang 17 October 2025)

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि - सुबह 11 बजकर 12 मिनट तक

शुक्ल योग - देर रात 1 बजकर 49 मिनट तक

करण - सुबह 11 बजकर 12 मिनट तक

कौलव - रात 11 बजकर 42 मिनट तक

वार - शुक्रवार

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(Picture Credit: Freepik) (AI Image)
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय - सुबह 6 बजकर 23 मिनट से

सूर्यास्त - शाम 5 बजकर 49 मिनट पर

चंद्रोदय - ब्रह्म मुहूर्त 3 बजकर 24 मिनट पर

चंद्रास्त - दोपहर 3 बजकर 38 मिनट पर

सूर्य राशि - कन्या देर रात 1 बजकर 54 मिनट तक

चंद्र राशि - सिंह
आज के शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक

अमृत काल - सुबह 11 बजकर 26 मिनट से देर रात 1 बजकर 7 मिनट तक
आज का अशुभ समय

राहुकाल - सुबह 10 बजकर 40 मिनट से दोपहर 12 बजकर 6 मिनट तक

गुलिक काल - सुबह 7 बजकर 49 मिनट से सुबह 9 बजकर 15 मिनट तक

यमगण्ड - दोपहर 2 बजकर 58 मिनट से शाम 4 बजकर 24 मिनट तक

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आज का नक्षत्र

आज चंद्रदेव मघा नक्षत्र में रहेंगे…

मघा नक्षत्र - प्रात: 01:57 बजे तक

सामान्य विशेषताएं: परंपरावादी, अधिकार प्रिय, अहंकार, सहज समृद्धि, क्रोधी स्वभाव, कामुक और उदारता

नक्षत्र स्वामी: केतु देव

राशि स्वामी: सूर्य देव

देवता: पितृ (पूर्वज)

प्रतीक: राज सिंहासन

आज का व्रत और त्योहार - तुला संक्रांति

तुला संक्रांति, जो हर साल अक्टूबर-नवंबर के बीच आती है, सूर्य के तुला राशि में प्रवेश करने का पर्व है। इसे सूर्य के परिवर्तन और ऋतुओं के बदलाव का संकेत माना जाता है। इस दिन से दिन और रात का संतुलन अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।

तुला संक्रांति का धार्मिक महत्व भी है। लोग इस दिन तिल, धन और वस्त्र दान करने का विशेष महत्व मानते हैं। स्नान और पूजा के साथ दान करने से जीवन में संतुलन, शांति और सुख की प्राप्ति होती है। यह पर्व आत्मा में संतुलन, मन में स्थिरता और संबंधों में सामंजस्य लाने का प्रतीक है।

गोचर तिथि - 17 अक्टूबर 2025

संक्रांति का समय - 17 अक्टूबर 2025, दोपहर 1 बजकर 54 मिनट

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