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Ganesh Mantra: इन मंत्रों के जप से करें भगवान गणेश को प्रसन्न, दूर हो जाएंगे सारे संकट

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Ganesh Mantra: भगवान गणेश को कैसे प्रसन्न करें?



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, बुधवार 15 अक्टूबर को कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की नवमी और दशमी तिथि है। बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर भगवान गणेश की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए व्रत रखा जाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

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अगर आप भी आर्थिक विषमता दूर करना चाहते हैं, तो बुधवार के दिन भक्ति भाव से भगवान गणेश की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें। वहीं, पूजा का समापन गणेश जी की आरती से करें।
गणेश मंत्र

1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

2. ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥



3. \“गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।

नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।

धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।

गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।

4. ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

5. दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥



6. ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।।

7. “ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चिरचिर गणपतिवर वर देयं मम वाँछितार्थ कुरु कुरु स्वाहा ।”

8. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

9. ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

10. वन्दे गजेन्द्रवदनं वामाङ्कारूढवल्लभाश्लिष्टम् ।

कुङ्कुमरागशोणं कुवलयिनीजारकोरकापीडम् ॥

विघ्नान्धकारमित्रं शङ्करपुत्रं सरोजदलनेत्रम् ।

सिन्दूरारुणगात्रं सिन्धुरवक्त्रं नमाम्यहोरात्रम् ॥

गलद्दानगण्डं मिलद्भृङ्गषण्डं,

चलच्चारुशुण्डं जगत्त्राणशौण्डम् ।

लसद्दन्तकाण्डं विपद्भङ्गचण्डं,

शिवप्रेमपिण्डं भजे वक्रतुण्डम् ॥

गणेश्वरमुपास्महे गजमुखं कृपासागरं,

सुरासुरनमस्कृतं सुरवरं कुमाराग्रजम् ।

सुपाशसृणिमोदकस्फुटितदन्तहस्तोज्ज्वलं,

शिवोद्भवमभीष्टदं श्रितततेस्सुसिद्धिप्रदम् ॥

विघ्नध्वान्तनिवारणैकतरणिर्विघ्नाटवीहव्यवाट्,

विघ्नव्यालकुलप्रमत्तगरुडो विघ्नेभपञ्चाननः ।

विघ्नोत्तुङ्गगिरिप्रभेदनपविर्विघ्नाब्धिकुंभोद्भवः,

विघ्नाघौघघनप्रचण्डपवनो विघ्नेश्वरः पातु नः ॥
गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश...

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।

माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

जय गणेश जय गणेश...

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश...

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।

लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश...

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश...

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

जय गणेश जय गणेश...

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश...

\“सूर\“ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश...

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश...

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश...

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश...

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