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कांग्रेस ने मोदी सरकार पर लगाया RTI को कमजोर करने का आरोप, कहा- बिहार में पारदर्शिता पर संकट

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मोदी सरकार पर लगाया RTI को कमजोर करने का आरोप



राज्य ब्यूरो,पटना। कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि जब से इस देश में वह सत्ता में आई है उसने सूचना के अधिकार कानून को कमजोर किया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया कोऑर्डिनेटर अभय दुबे और प्रदेश मीडिया विभाग के अध्यक्ष राजेश राठौड़ ने कहा कि कानून 2005 में मनमोहन सिंह सरकार में लागू किया गया था।विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

जिसका मकसद भारत के नागरिकों के संवैधानिक और सामाजिक सशक्तिकरण का सबसे प्रभावी माध्यम देना था। इस कानून ने आम जनता को सरकारी तंत्र से जवाब मांगने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की ताकत दी। दोनों नेता रविवार को सदाकत आश्रम में प्रेस से बात कर रहे थे।
कानून की आत्मा को कुचलने की संगठित कोशिश

अभय दुबे ने कहा कि आरटीआई के माध्यम से लाखों नागरिकों ने अपने हक़जैसे राशन, पेंशन, मजदूरी, छात्रवृत्ति और योजनाओं का लाभहासिल किया। परंतु पिछले दशक में, विशेषकर मोदी–नीतीश सरकार के दौरान, इस कानून की आत्मा को कुचलने की संगठित कोशिश हुई है।

उन्होंने यूपीए सरकार के कार्यों का हवाला देकर कहा कि यूपीए सरकार ने अपने अधिकार-आधारित एजेंडा के तहत मनरेगा (2005), वन अधिकार अधिनियम (2006), शिक्षा का अधिकार (2009), भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा कानून (2013) और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (2013) जैसे जनकल्याणकारी कानून लागू किए।

उन्होंने राज्य सरकार पर हमलावर होते हुए कहा कि बिहार में सूचना आयोग की स्थिति पारदर्शिता पर पर्दा है। 2017–18 के बाद कोई वार्षिक रिपोर्ट जारी नहीं हुई हैयानी पिछले सात वर्षों से बिहार में पारदर्शिता ठप है।
25,101 से अधिक अपीलें और शिकायतें लंबित

बिहार में 25,101 से अधिक अपीलें और शिकायतें लंबित हैं। आयोग ने 11,807 अपीलें और शिकायतें वापस की, जबकि उसी अवधि में 10,548 ही दर्ज हुई थी। एक अपील या शिकायत को निपटाने में औसतन पांच वर्ष का समय लग रहा है।

स्पष्ट है कि बिहार सरकार ने आरटीआई को पंगु बना दिया है। पारदर्शिता अब सत्ता के डर से दबी हुई है। पिछले वर्षों में आरटीआई से भ्रष्टाचार उजागर करने वाले असंख्य कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है। राजेश राठौड़ ने कहा कि हमारे देश की मोदी सरकारतालिबानी संस्कृति थोपना चाहती है।

महिला पत्रकारों को अफगानिस्तान के विदेश मंत्री के आगमन पर संवाददाता सम्मेलन में जाने से रोकना इसका ताजा उदाहरण है। हमारे देश में महिलाओं का हमेशा सम्मान करने की संस्कृति रही लेकिन वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा ऐसे तालिबानी कानून हमारे देश में भी थोपने की कवायद निंदनीय है।
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