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Bihar Election: वोटरों ने जताया प्रत्याशियों पर भरोसा, पिछले विधानसभा चुनाव में घटा नोटा

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पिछले विधानसभा चुनाव में घटा नोटा






धर्मेंद्र कुमार सिंह, आरा। बिहार विधानसभा के चुनाव में 2015 में पहली बार नोटा(नन आफ द एबाव) काबटन इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन में शामिल किया गया। तब इसका खूब इस्तेमाल हुआ।

हालांकि, भोजपुर जिले में 2020 के विधानसभा चुनाव में नोटा की चमक 2015 की तुलना में फीकी पड़ गई। जिले की सातों विधानसभा सीटों संदेश, बड़हरा, आरा, अगिआंव, तरारी, शाहपुर और जगदीशपुर में नोटा वोटों की संख्या में 5666 की भारी गिरावट दर्ज की गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार 2015 में जिले में कुल मिलाकर 22,842 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाकर सभी प्रत्याशियों को अस्वीकार किया था, लेकिन 2020 में यह आंकड़ा लगभग हर सीट पर घटा और वोटरों ने नोटा की बजाय अपने पसंद के प्रत्याशियों को चुनने में दिलचस्पी दिखाई।

जगदीशपुर में जहां 2015 में 2,263 वोट मिले थे, वहीं 2020 में घटकर मात्र 817 रह गए। शाहपुर में भी 2,641 से गिरकर 978 पर आ गए। तरारी में 3,858 से घटकर 2,550, अगिआंव में 4,244 से घटकर 3,787 और आरा में 3,203 से घटकर 2,811 रह गए। संदेश और बड़हरा जैसी सीटों पर मामूली गिरावट रही, जहां क्रमशः 3,713 से घटकर 3,449 और 2,916 से घटकर 2,784 वोट हुए।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2015 में नोटा को मतदाताओं ने एक विरोध के प्रतीक के रूप में देखा था। लेकिन 2020 में चुनावी मुद्दों की स्पष्टता और महागठबंधन बनाम एनडीए की सीधी टक्कर ने मतदाताओं को किसी न किसी पक्ष में मतदान करने को प्रेरित किया।

यही वजह है कि विरोध स्वरूप डाले गए मतों में उल्लेखनीय कमी आई। वोटरों में यह विश्वास भी जगा कि नोटा के बदले अपने मनपसंद प्रत्याशियों को चुनना लोकतांत्रिक सरकार को चलाने के लिए ज्यादा जरूरी है।

कुल मिलाकर भोजपुर में अब नोटा का प्रभाव घटता दिख रहा है। 2015 की तुलना में 2020 में मतदाताओं ने स्पष्ट विकल्प चुना यानी अब “किसी को नहीं” की बजाय “किसी को जरूर” वोट देने का रुझान बढ़ा है। इस बार भी इसका प्रयोग काफी कम होने की संभावनाएं।
2013 से प्रचलन में आया नोटा

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 27 सितंबर 2013 के बाद राज्य और देश में नोटा का प्रचलन शुरू हुआ। इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि आम मतदाताओं को यह अधिकार दिया जाए कि उनके पसंद का कोई प्रत्याशी नहीं रहने पर विकल्प के रूप में वह नोटा का उपयोग कर सके।

सुप्रीम कोर्ट का या आदेश अक्टूबर 2013 से लागू हो गया। इस आदेश के बाद बिहार में पहला विधानसभा चुनाव 2015 में हुआ जिसमें यह व्यवस्था लागू कर दी गई। इसके पहले नोट का प्रचलन नहीं था।
जिले में सबसे ज्यादा अगिआंव सुरक्षित विधानसभा में नोट का हुआ प्रयोग

भोजपुर जिले में सबसे ज्यादा दोनों चुनाव में मिलाकर अगिआंव विधानसभा में नोटा का प्रयोग हुआ। यहां पर रिकॉर्ड 2015 में 4244 और 2020 में 3787 मत नोटा के पड़े थे। इसके बाद संदेश में लगभग 71 00, तरारी में 6300 के साथ-साथ अन्य विधानसभा में नोटा का प्रयोग मतदाताओं ने कम किया।
2020 और 2015 में किस विधनसभा में कितना पड़ा नोटा का डाटा



    विस नाम 2020 2015 घटे वोटर


   संदेश
   3449
   3717
   264


   बड़हरा
   2784
   2916
   132


   आरा
   2811
   3203
   392


   अगिआंव
   3787
   4244
   457


   तरारी
   2550
   3858
   1308


   जगदीशपुर
   817
   2263
   1663


   शाहपुर
   978
   2641
   1446


   योग
   17,176
   22,842
   5666


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