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Bihar Politics: इस सीट पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सीधी नजर, वोटिंग से पहले बागी हुए दिग्गज नेता

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देवकांत झा, फुलपरास। जदयू के पूर्व मंत्री लक्ष्मेश्वर राय लौकहा विधानसभा क्षेत्र से टिकट न मिलने के आक्रोश में बागी हो गए। राजद का दामन थाम लिया। लक्ष्मेश्वर राय ने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम वाले दिन ही इस बात की चर्चा सार्वजनिक कर दी थी कि यदि लौकहा से टिकट नहीं मिला तो वह बगावत करेंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नजर में यह सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण रही है, क्योंकि लगातार जदयू यहां से जीत हासिल कर रहा था। मगर 2020 में उसे हार का सामना करना पड़ा था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री रहे हरि साह की मूर्ति अनावरण और नहर परियोजनाओं के शिलान्यास और उद्घाटन को लेकर लगातार लौकहा पहुंचकर नीतीश कुमार ने एक संदेश पहले भी दे दिया था कि यह सीट उनके लिए खास है। लौकहा विधानसभा में एनडीए गठबंधन से नया प्रयोग करने की बात चल रही है।

जदयू यहां से लीक से हटकर महागठबंधन से राजद उम्मीदवार के मूल वोट बैंक में सेंधमारी के तरफ सोच रहा है। जिसके कारण चौंकाने वाला उम्मीदवार को उतरा जा सकता है। समता पार्टी से लेकर जदयू तक लगातार लौकहा से अतिपिछड़ा उम्मीदवार को लड़ाया है। उन्हें 2000 के बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा।

बता दें कि दुर्गापूजा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कार्यक्रम घोषिन (यादव) बाहुल्य सिरसिया में आयोजित हुआ था। जहां सीएम ने लाभुक संवाद में हिस्सा लेने के बाद एक महती सभा को संबोधित करते हुए पुनः मौका देने की अपील की थी। लौकहा हारने की टीस भी जदयू खेमे में साफ झलक रही थी, चूंकि सभा को संबोधित करते हुए जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने कहा था कि दरभंगा एवं मधुबनी में एनडीए तीन सीट जितने में असफल रहा, जिसमें लौकहा भी शामिल है।

उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार जीत के नम्बर में लौकहा को एक नम्बर पर रखे हुए थे। बता दें कि लौकहा से जदयू के कई दावेदार हैं, जिसमें पूर्व मंत्री लक्ष्मेश्वर राय भी थे। वे अब बागी हो गए। पूर्व विधायक सतीश कुमार साह, जिला पार्षद विनोद साह, कमलाकांत भारती प्रमुख हैं, लेकिन जदयू पर नजर वालों की माने तो यहां से पार्टी कोई चौंकाने वाला उम्मीदवार दे सकती है, जो राजद के मूल वोट बैंक में सेंधमारी कर जीत को सुनिश्चित करे।

तर्क देते हुए कहते हैं कि मौजूदा विधायक भारत भूषण मंडल अतिपिछड़ा के धानुक समुदाय से आते हैं व राजद प्रदेश अध्यक्ष मंगनीलाल मंडल भी उसी समुदाय से आते हैं, जिनका घर फुलपरास है। जिससे अतिपिछड़ा का प्रभावित होना तय है। जदयू को गत चुनाव से तेली जाति का वोट नहीं मिल रहा है। वर्ष 2015 में भाजपा के टिकट पर प्रमोद प्रियदर्शी को 60 हजार से अधिक मत प्राप्त था एवं वर्ष 2020 में लोजपा के टिकट पर स्व प्रियदर्शी को 30 हजार से अधिक मत मिला था।

माना जा रहा है कि तेली का एकमुश्त वोट दोनों चुनाव में प्रियदर्शी को मिला था, जिस वजह से 2020 में जदयू यहां से हार गई। इस बार भी तेली जाति से यदि किसी पार्टी ने उम्मीदवार नहीं दिया तो निर्दलीय उम्मीदवार बनने की चर्चा है। चूंकि पिछले दिनों लौकहा विधानसभा में तेली जाति का सम्मेलन आयोजित हुआ था। जिसमें राज्य के दूसरे जिले के स्वजातीय दिग्गत ने शिरकत किया था।

सम्मेलन में लौकहा पर दावेदारी देते हुए पार्टी न सही निर्दलीय चुनाव में उतरने का निर्णय लिया गया। सीएम नीतीश कुमार के घोषिन (यादव) बाहुल्य सिरसिया में कार्यक्रम होने पर निहितार्थ निकालते हुए बताते हैं कि वह यादव बाहुल्य इलाका है। 1990 तक यह इलाका कांग्रेस का वोटर रहा।

1990 के बाद जनता दल एवं राजद के तरफ शिफ्ट हो गया। जिसमें सेंधमारी कर अपने कोर वोटर से होने वाली हानि की भरपाई करने के तरफ दिख रहा है। कहते हैं कि राजद के कोर वोटर में की का लाभ उठाने का प्रयास जदयू कर सकता है और लीक से हटकर उम्मीदवार दे सकता है।

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